नागा साधुओं से जुड़ी ये बातें जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान, जानिए धुनि रमाने का रहस्‍य

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो गई है । कुंभ नगरी में साधुओं का जमावड़ा भी लग गया है । जानिए साधुओं और उनकी धुनि से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें जो बेहद रोचक हैं ।

New Delhi, Jan 15 : आज से कुंभ नगरी में शुरु हो गया है आस्‍था का मेला कुंभ मेला । 15 जनवरी से 3 मार्च तक चलने वाले इस मेले में हजारों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिसके लिए तैयारियां भी खास तौर पर की गई हैं । हर वर्ष यहां आने वाले साधु आकर्षण का केन्‍द्र होते हैं । पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में खास प्रकार की धुनि भी रमनी शुरू हो गई है, साधुओं के कैम्‍प से निकलने वाला ये धुआं कुछ खास कहानी कहता है । क्‍या आप जानते हैं ये धुनि सिर्फ अग्नि का प्रतीक मात्र नहीं है ।

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मंत्र निहित होती हैं धुनियां
धुनि रमाना, यानी किसी चीज में रम जाना । किसी भी साधु द्वारा जलाई गई धुनि कोई साधारण अग्नि    नहीं होती । इसे सिद्ध मंत्रों से शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है । कोई भी साधु इसे अकेले नहीं जला सकता । इसके लिए उसके गुरु का होना जरूरी होता है । गुरु की ही अनुमति से धुनि जलाई जाती है । गुरु के साथ साथ साधुओं के द्वारा सिद्ध मंत्रों के साथ धुनि को प्रज्‍वलित किया जाता है । धनि की भस्‍म बहुत ही पवित्र मानी गई है ।

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धुनि को कभी अकेला नहीं छोड़ते
धुनि हमेशा जलती रहे यह जिम्मेदारी भी उसी साधु की होती है, इसी वजह से उसे हमेशा धुनि के आसपास ही रहना पड़ता है । किसी कारण से साधु कहीं जाता है तो उस समय धुनि के पास उसका कोई सेवक या शिष्य रहता है। धुनि को कभी भी अकेले नहीं छोड़ा जाता, ठीक उसी प्रकार जैसे आप घर में दीपक प्रज्‍वलित करते हैं तो उसे भी अकेले नहीं छोड़ा जा सकता ।

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धुनि की सेवा के लिए होता है चिमटा
आपने अकसर साधुओं के हाथ में चिमटा देखा होगा, दरअसल ये जो चिमटा होता है, वह वास्तव में धुनि की सेवा के लिए होता है। उस चिमटे का कोई और उपयोग नहीं किया जाता। इसी चिमटे से धुनि की आग को व्यवस्थित किया जाता है। इस चिमटे को आप नागा बाबा के आसपास ही पाएंगे । ये बहुत ही पवित्र होता है ।

नागा साधु जब देते हैं आशीर्वाद
नागा साधुओं में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई साधु धुनि के पास बैठकर कोई बात कहे या कोई आशीर्वाद देता है तो वह जरूर फलित होता है । किसी भी नागा साधु का लगभग पूरा जीवन अपनी इसी धुनि के आसपास ही गुजरता है । हालांकि जब वे यात्रा में होते हैं तब ये धुनि उनके साथ नहीं होती । लेकिन जैसे ही वे कहीं डेरा जमाते हैं तो वहां सबसे पहले धुनि जलाई जाती है ।