इन 137 सीटों पर बीजेपी को हराने में  विपक्ष का छूट सकता है पसीना, महागठबंधन भी काम नहीं आएगा

इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में अगर विपक्षी एकजुट हुए, तो बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है।

New Delhi, Jan 17 : आम चुनाव के लिये तमाम राजनीतिक दल अपने स्तर पर तैयारियां शुरु कर चुके हैं, केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को कई विपक्षी दल एकजुट होकर हटाने की कोशिश कर रही है, कई राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगियों को हराने के लिये विपक्ष लामबंद होता जा रहा है, ऐसे में हर किसी में मन में यही सवाल उठ रहा है कि क्या 2019 में बीजेपी को हराने में विपक्ष कामयाब हो पाएगा, इस सवाल का जवाब देना फिलहाल आसान नहीं है।

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इन सीटों पर बीजेपी की राह आसान
इंडिया टीवी के रिपोर्ट के अनुसार 2014 लोकसभा चुनाव में 137 सीटें ऐसी थी, जिस पर बीजेपी उम्मीदवारों को पांच लाख से ज्यादा वोट मिले थे, 543 में से ऐसी बहुत कम सीटें थी, जहां पर पांच लाख वोट लेने के बाद भी उम्मीदवार हार गया हो, सिर्फ बीस सीटों पर ऐसा कांटे की टक्कर थी, और हारने वाले उम्मीदवार ने भी 5 लाख से ज्यादा वोट हासिल किये थे।

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यहां मिली जबरदस्त जीत
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत वाली 137 सीटें ऐसी थी, जहां उसके उम्मीदवार पांच लाख से ज्यादा वोट पाकर जीतने में सफल रहे, इनमें से सबसे ज्यादा गुजरात में 23, महाराष्ट्र में 21, यूपी में 2, राजस्थान में 19, एमपी में 17, कर्नाटक में 14, छत्तीसगढ में सात, हरियाणा में 4, दिल्ली में 4, असम और आंध्र प्रदेश में दो- दो, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और उत्तराखंड में एक-एक सीट है।

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हारने वाले उम्मीदवार
जिन बीस सीटों पर पांच लाख से ज्यादा वोट पाने के बाद भी उम्मीदवार हार गये, उनमें तीन सीटें बीजेपी या उनके सहयोगी दल की थी, जिसमें एक सीट आंध्र प्रदेश, एक महाराष्ट्र और एक छत्तीसगढ में थी, 2014 लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी, यहां पर 15 उम्मीदवार 5 लाख से ज्यादा वोट पाने के बावजूद हार गये।

विपक्षी दल की राह आसान नहीं
इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में अगर विपक्षी एकजुट हुए, तो बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है, हालांकि विपक्षी दलों के लिये सबसे बड़ी चुनौती वोट को ट्रांसफर करने को लेकर है, क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि गठबंधन में वोट दूसरे दल के ट्रांसफर ही नहीं होते हैं।