प्रियंका गांधी की एंट्री से त्रिकोणीय हुआ  यूपी का मुकाबला, राहुल गांधी ने आसान कर दी बीजेपी की राह

कांग्रेस नेताओं के अनुसार प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम वोटरों का झुकाव बीजेपी के विरोध में भले गठबंधन की ओर माना जा रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है।

New Delhi, Jan 24 : आम चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा के रुप में अपना ब्रह्मास्त्र चला दिया है, यूपी में पिछले काफी समय से एक बड़े चेहरे की तलाश की जा रही थी, कांग्रेस ने प्रियंका के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान सौंपकर लोकसभा चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है, इसके साथ ही सूबे की सियासत में भी नई जान फूंक दी है।

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रायबरेली-अमेठी तक सीमित
पिछले तीन दशक से यूपी में कांग्रेस का जनाधार लगतार घटता जा रहा है, पार्टी हाशिये पर पहुंच चुकी है, यही वजह है कि इसी महीने जब मायावती और अखिलेश ने गठबंधन का ऐलान किया, तो उन्हें दो सीटों तक सीमित कर दिया, माया-अखिलेश से तवज्जो ना मिलने के बाद कांग्रेस के लिये यूपी में खुद को बचाये रखना बड़ी चुनौती है, अगर रायबरेली-अमेठी छोड़ दिया जाए, तो बाकी सभी जिलों में कांग्रेस कमजोर संगठन और चेहरे की कमी के साथ-साथ हताश कार्यकर्ताओं की समस्या से जूझ रही है, प्रियंका के रुप में उन्हें संजीवनी मिल सकती है, माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी के आने से पूर्वांचल ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी में भी संगठन को मजबूती मिलेगी, साथ ही कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होगा।

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मुस्लिम वोट बैंक पर असर
माना जा रहा है, कि प्रियंका गांधी की एंट्री मुस्लिम वोट बैंक पर सीधा असर कर सकती है, अब सपा-बसपा गठबंधन के लिये ये बड़ी चुनौती होगी, कि प्रियंका गांधी से कैसे निपटा जाए, बीजेपी के लिये 2014 दोहरा पाना आसान नहीं होगा, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन की बुनियाद ही इसलिये रखी गई, क्योंकि आगामी चुनाव में दलित और मुस्लिम वोटों का बिखराव ना हो, इसका सीधा फायदा गठबंधन को मिले।

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कांग्रेस से उम्मीद
प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने से सूबे की सियासत में एकदम से हलचल मच गई है, अब तक मोदी और बीजेपी की हार की चाहत रखने वालों की पहली पसंद गठबंधन माना जा रहा था, लेकिन प्रियंका के आने से कांग्रेस से भी उम्मीद दिखने लगी है, इस तरह से यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है।

एक मात्र विकल्प प्रियंका गांधी
कांग्रेस नेताओं के अनुसार प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम वोटरों का झुकाव बीजेपी के विरोध में भले गठबंधन की ओर माना जा रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है, नये परिवेश में मुस्लिम वोटर की नजर कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों की ओर भी जाएगी, इसकी वजह ये है कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से है, साथ ही अगर किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो सपा -बसपा बीजेपी को रोकने के लिये कांग्रेस के साथ ही रहना पसंद करेंगे, ऐसे में सीधे क्यों ना कांग्रेस को वोट किया जाए, हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों को कहना है, कि इससे बीजेपी को फायदा होगा, क्योंकि उनके विरोध के वोट बंट जाएंगे।