‘चायवाले’ को पद्मश्री सम्मान, प्रधानमंत्री खुद मिलने भी पहुंचे, हर भारतीय को गर्व होगा इनका काम जानकर
कुछ अलग करने की चाह सबके मन में होती है, लेकिन कर कुछ मुठ्ठी भर ही लोग पाते हैं । हमें लगता है हमसे क्या होगा, घर-दफ्तर के बीच कैसे कुछ अलग की सोच सकते हैं । ये आर्टिकल पढि़ए, आपको भी गर्व होगा पद्मश्री डी प्रकाश राव के बारे में जानकर ।
New Delhi, Jan 26 : गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस ये दो ऐसे मौके हैं जो हमें देशभक्ति से भर देते हैं । लेकिन क्यों ये देशभक्ति इन्हीं दिनों पर जगती है बाकी साल के दिन हम क्या करते हैं । घर, परिवार, दफ्तर, रोजमर्रा के काम बस इतना ही । कुछ अलग करने का सोचें भी सोच से पहले इच्छा शक्ति ही मात खा जाती हैं । ऐसे ही लोगों के लिए प्ररेणा स्रोत हैं डी प्रकाश राव, जो पेशे से एक चाय का ठेला चलाते हैं लेकिन इसके बावजूद ऐसा काम कर रहे हैं कि सुनकर, पढ़कर आप भी उनके जैसा बनने की कोशिश करें ।
पद्मश्री सम्मान
डी प्रकाश राव, इनके बारे में और जानने से पहले आपको ये बता दें कि साल 2019 के पद्मपुरस्कारों में एक नाम इनका भी है । डी प्रकाश राव के काम से खुश होकर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इनसे मिलने पहुंचे थे । डी प्रकाश जो काम कर रहे हैं, जो किसी मिसाल से कम नहीं है । महज चाय की दुकान चलाने वाले प्रकाश एक-दो नहीं 70 बच्चों को पढ़ा रहे हैं । अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा वो समाज सेवा में लगा देते हैं । आस-पास के लोग प्रकाश का बहुत सम्मान करते हैं ।
प्रधानमंत्री ने की मुलाकात
डी प्रकाश राव पिछले 67 सालों से चाय बेचने का काम कर रहे हैं । ओडीशा, कटक के रहने वाले प्रकाश 70 से भी ज्यादा बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं । वो बच्चे जिनके मां-बाप आर्थिक रूप से कमजोर हैं और बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं, उनके लिए प्रकाश किसी भगवान से कम नहीं । डी प्रकाश ने झुग्गी में ही आशा आश्वासन खोला है, जिसमें बेसहारा लोगों को सहारा दिया जाता है ।
‘मन की बात’ में लिया नाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने खुद जाकर उनसे मुलाकात की और 30 मई 2018 को रेडियो पर हुए मन की बात कार्यक्रम में उनका नाम लेते हुए बताया कि उन्हें ओडिशा स्थित कटक के एक चाय बेचने वाले डी प्रकाश राव से मुलाकात का मौका मिला ।
चाय बेचने के साथ करते हैं ये काम
राव एक स्कूल भी चलाते हैं, जहां बस्ती के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाता है । स्कूल के बाद रोज अस्पताल जाते हैं । अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों और उनके परिजनों की सेवा, गर्म पानी पहुंचाना उनका नियमित कार्य है । जरूरत पड़ने पर प्रकाश रक्तदान भी करते हैं । हैरानी की बात ये कि प्रकाश कभी स्कूल नहीं गए, फिर भी उनकी हिंदी और अंग्रेजी काफी अच्छी है । प्रकाश पिछले 67 सालों से चाय बेच रहे हैं ओर देश की सेवा में अपना बड़ा योगदान दे रहे हैं ।