पूर्वोत्तर के लिये RSS ने शुरु किया बड़ा अभियान, कुंभ से शुरुआत

संघ प्रचारक ने जानकारी दी, कि नागालैंड, मिजोरम, सिक्किम और मेघालय से रोजाना करीब 500 कलाकार यहां आ रहे हैं, असम के कलाकारों के भी कार्यक्रम करवाये जा रहे हैं।

New Delhi, Jan 27 : गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में चल रहे कुंभ के धार्मिक महत्व को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है, लाखों लोग कुंभ में डुबकी लगा रहे हैं, ऐसे में आरएसएस से जुड़े संगठन संस्कार भारती कुंभ के जरिये राष्ट्रीय एकता और हिंदू एकता को बढावा देने की पहल की है, इसके लिये उन्होने गंगा मनुहार नाम से कार्यक्रम शुरु किया है।

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पूर्वोत्तर को लेकर प्लान
संघ प्रचारक और गंगा मनुहार के आयोजक वेद प्रकाश ने बताया कि पूर्वोत्तर के लोगों को भारत के दूसरे हिस्सों से जोड़ने और कुंभ में भागीदारी के लिये प्रोत्साहित करने की कोशिश है, आमतौर पर कुंभ उत्तर भारत के लोगों की धार्मिक आस्था से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इस बार हमने पूर्वोत्तर के लोगों को भी कुंभ में भागीदारी के लिये प्रोत्साहित किया, प्रयाग राज में पूर्वोत्तर से आने वाले लोगों के लिये अलग से इंतजाम किया गया है।

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पूर्वोत्तर के कलाकार
संघ प्रचारक ने जानकारी दी, कि नागालैंड, मिजोरम, सिक्किम और मेघालय से रोजाना करीब 500 कलाकार यहां आ रहे हैं, असम के कलाकारों के भी कार्यक्रम करवाये जा रहे हैं, पूर्वोत्तर के 16 अहम आदिवासी समूहों के प्रतिनिधि यहां शिरकत करने पहुंचे हैं, खास बात ये है कि पूर्वोत्तर से यहां पहुंच रहे लोगों में बड़ी संख्या महिलाओं की है, संगम में डुबकी लगा रहे कलाकारों में ज्यादातर ईसाई धर्म के हैं।

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हमारी संस्कृति एक
वेद प्रकाश ने कहा कि हमारा मानना रहा है कि भले हमारा धर्म अलग-अलग हो, हमारी पूजा पद्धति अलग हो, लेकिन हमारी संस्कृति एक है, यही हमें एकता के धागे में बांधी रखती है, कुंभ और संगम भारत की सामूहिक संस्कृति का प्रतीक है, फरवरी में पूर्वोत्तर से हजारों की संख्या में लोग कुंभ पहुंचेंगे, ये लोग भारत की संस्कृति को मानते हैं।

भारत को जोड़ती है गंगा
गंगा मनुहार के जरिये संघ का ये संगठन गंगा के पवित्र जल को देश के सभी प्रदेशों की नदियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है, उन्होने कहा कि कलाकार कुंभ आएंगे और यहां से गंगाजल लेकर अपने-अपने स्थानीय नदियों में प्रवाहित करेंगे, इससे देश की संस्कृति और भौगोलिक एकता भी बढेगा, साथ ही लोग कुंभ के महत्व के बारे में जागरुक होंगे, संस्कार भारती देश के 175 जगहों पर गंगाजल पहुंचाएगी और 150 जगहों का पानी लाकर प्रयागराज में प्रवाहित करेगी।