बजट पर ये क्‍या बोल गए उद्धव ठाकरे, बीजेपी ‘सरप्राइज’, नहीं हो रहा यकीन  

शिवसेना ने मोदी सरकार के अंतरिम बजट की तारीफ की है, शिवसेना और बीजेपी के बीच इन दिनों मिले जुले भाव के रिश्‍ते हैं ऐसे में शिवसेना की ओर से आया ये बयान काफी कुछ कह रहा है ।

New Delhi, Feb 02 : शिवसेना के मुखपत्र सामना में दिल खोलकर मोदी सरकार के अंतरिम बजट की तारीफ की गई है । सामना में लिखा है कि देशभर में इस वर्ष भले ही कम बरसात हुई है फिर भी लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी बजट में मोदी सरकार घोषणाओं की बारिश करेगी, यही उम्मीद थी । आपको बता दें शुक्रवार को ही मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया गया । बजट को चुनावी बजट, वोटों का बजट, जुमला बजट और भी कई नामों से बुलाया जा रहा है लेकिन शिवसेना ने इस बजट को सामना में उम्‍मीदों को पूरा करने वाला बजट बताया है ।

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सामना में बजट का स्‍वागत
शिवसेना के मुख पत्र में मोदी सरकार के इस बजट की तारीफ की गई है । तमाम विपक्षी दल जहां इस बजट को आखिरी जुमला बता रहे हैं, वहीं, बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा है – देशभर के लोगों को जिसकी उम्मीद थी, मोदी सरकार ने वो करके दिखा दिया । देशभर में इस वर्ष भले ही कम बरसात हुई है फिर भी लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी बजट में मोदी सरकार घोषणाओं की बारिश करेगी, यही उम्मीद थी ।

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स्‍वरूप पूर्ण बजट जैसा ही
सामना में लिखा है –  वित्त विभाग का अतिरिक्त कामकाज संभालने वाले रेलमंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को रखे गए ‘अंतरिम’ बजट ने अपेक्षाओं को भंग नहीं किया है ।  यह बजट ‘अंतरिम’ था फिर भी चुनाव से पहले सरकार के लिए यह आखिरी मौका होने से उसका स्वरूप ‘पूर्ण बजट’ जैसा रखा जाएगा और इस मौके का पूर्णत: लाभ उठाने की कोशिश सरकार द्वारा की जाएगी, ये काले पत्थर की सफेद लकीर थी । अंतरिम बजट पर नजर डालने पर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने इस पर स्पष्ट लकीर खींचने की कोशिश की है ।

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लोगों को खुश करने की कोशिश वाला बजट
सामना में आगे लिखा है – नोटबंदी तथा अन्य आर्थिक नीतियों के कारण गरीब-मध्यम वर्ग से लेकर किसान-मजदूर तक और आम नौकरीपेशा से लेकर व्यावसायिक-उद्योगपतियों तक सभी घटक मोदी सरकार से नाराज हैं । ऊपर से बीच के दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का झटका सत्ताधारी दल को लगा इसलिए इन नाराज घटकों को खुश करने की कोशिश इस बजट में की गई है ।
टैक्‍स में छूट बड़ा निर्णय
सामना में नौकरीपेशा लोगों को मिली इनकम टैक्‍स में राहत पर मुखपत्र में लिखा है – 5 लाख रुपए तक की आय को करमुक्त करने का एक बड़ा निर्णय घोषित किया गया है । 80 (सी) धारा के तहत मिलने वाली कर छूट का विचार करते हुए कर सीमा को साढ़े 6 लाख तक बढ़ा दिया गया है । स्टैंडर्ड डिडक्शन 40 हजार से 50 हजार रुपए कर दिया गया है । दूसरे मकान को करमुक्त कर दिया गया है । पीएफ जिनका कटता है, उन कर्मचारियों को प्रधानमंत्री श्रमयोगी योजना के तहत 6 लाख की आयुर्बीमा सुरक्षा, ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख, ‘एचआरए’ पर कर में छूट जैसी अन्य कई घोषणाएं देश के करीब 3 करोड़ मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा लोगों को नजरों के सामने रखकर की गई हैं ।

किसान और मजदूरों के लिए घोषणाएं क्रांतिकारी
वहीं किसानों को आम बजट में मिली योजनाओं पर सामना में लिखा गया है – 2 हेक्टेयर की खेतीवाले किसानों के खाते में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए की आर्थिक सहायता जमा कराने का निर्णय सरकार ने लिया है । इसके अलावा 21 हजार वेतन पानेवाले असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 7 हजार रुपए बोनस, 60 वर्ष पूर्ण करनेवाले मजदूरों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए पेंशन दी जानेवाली है । यह निर्णय देश के करोड़ों किसानों और मजदूर-श्रमिकों को सीधा लाभ देनेवाला है, ‘क्रांतिकारी’ है, ऐसा सरकार का दावा है । इस पर बेवजह आपत्ति जताने की जरूरत नहीं लेकिन, अल्प भूधारक और श्रमिकों के खाते में जब पैसा जमा होगा तब सरकार का दावा और वादा सच होगा, ऐसा कहा जा सकता है और यह भी सच ही है ।

रक्षा बजट की तारीफ, बताया वोटों का बजट
वहीं सामना में रक्षा बजट पर भी लिखा है । लिखा है – रक्षा विभाग के लिए किया गया 3 लाख करोड़ से भी अधिक का प्रावधान आज तक का सबसे बड़ा होने का दावा वित्तमंत्री ने किया है । अन्य कई घोषणाएं और दावे अंतरिम बजट में किए गए हैं । उसे पूरा करने का ‘संकल्प’ भी वित्तमंत्री ने जताया है । अब अंतरिम बजट की इन ‘कोटि-कोटि उड़ानों’ को पूरा करने के लिए लगने वाला पैसा सरकार के पास है क्या, सरकार ने अपने आखिरी बजट में घोषणाओं की ‘बारिश’ की है. उनका उद्देश्य लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक ‘मेहनत’ है, फिर भी उसका लाभ समाज के सभी घटकों को होने वाला है । सामना में आगे लिखा है – अंतरिम बजट की मर्यादा और लोकसभा चुनाव की कसरत संभालते हुए मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया ‘बजट’ वोटों का ही है !