आप बजट में बिजी रहे वहीं विजय माल्‍या दुखड़ा सुना गए, 9000Cr. के बदले 13000Cr. की संपत्ति जब्‍त ‘मैं भगोड़ा कैसे’

‘जब उस पर बकाया धन से ज्यादा सरकारी एजेंसियां जब्त कर चुकी हैं। तब जनता का पैसा वकीलों पर बेशर्मी से क्यों खर्च किया जा रहा है।’

New Delhi, Feb 02 : विजय माल्‍या ने सरकार पर सवाल उठाया है, उसने कहा है कि सरकार उसकी संपत्ति लगातार जब्‍त करती जा रही है जिसकी कीमत लोन लिए रुपयों से भी कहीं ज्‍यादा है, फिर उन्‍हें भगोड़ा क्‍या कहा जा रहा है । बकाए से ज्‍यादा वसूली के बावजूद वो भगोड़ा क्‍यों ठहराया जा रहा है । माल्‍या ने पूछा है कि अब न्याय कहां है? विजय माल्‍या ने प्रत्‍यर्पण को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है इस बीच 31 जनवरी को उसने लगातार ट्वीट कर सरकार से सवाल किए और जनता का पैसा बर्बाद किए जाने के भी आरोप लगाए ।

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‘सरकारी एजेंसियों ने जब्‍त की प्रॉपर्टी ‘
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या का दावा है कि भारत में उसकी 13 हजार करोड़ रुपये सेज्‍यादा मूल्‍य की संपत्तियों को सरकारी एजेंसियों जब्त कर चुकी हैं । जबकि उन्हीं एजेंसियों का आरोप है कि उसने नौ हजार करोड़ रुपये की धनराशि बैंकों को चुकता नहीं की है और वह भागा हुआ है । माल्या का दावा है कि बकाए से ज्यादा की वसूली होने के बाद भी उसे क्यों भगोड़ा ठहराया जा रहा है । माल्‍या ने सवाल किया कि अब न्याय कहां है?

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एक के बाद एक ट्वीट
भारत से भागे हुए शराब कारोबारी विजय माल्‍या ने ब्रिटेन को अपना नया घर बनाया है । माल्या ने एक साथ कई ट्वीट कर यह बात कही । भारत को प्रत्यर्पित करने के ब्रिटिश कोर्ट के आदेश को माल्या ने वहां के हाई कोर्ट में चुनौती दी है । उसने लिखा है कि जब उस पर बकाया धन से ज्यादा सरकारी एजेंसियां जब्त कर चुकी हैं। तब जनता का पैसा वकीलों पर बेशर्मी से क्यों खर्च किया जा रहा है।

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‘मुकदमा चलाना क्‍या सही है ?’
माल्या ने लिखा कि रोज जब वो सोकर उठते हैं तो कर्ज वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) की ओर से नई जब्ती किए जाने की जानकारी उन्हें मिलती है। जो संपत्ति अभी तक जब्त की गई है उसका मूल्य 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। जबकि बैंकों की ब्याज सहित बकाएदारी नौ हजार करोड़ रुपये की है। माल्या ने सवाल उठाया है कि अभी भी उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना क्या उचित है? अगर नौ हजार करोड़ रुपये लेकर भाग जाने का सरकारी एजेंसियों का दावा सही भी मान लिया जाए तो डीआरटी की 13 हजार करोड़ की जब्ती के बाद अब सरकारी क्षेत्र की बैंक कहां से नुकसान में हैं। अब ये बैंक और भारतीय एजेंसियां जनता का धन वकीलों की फीस चुकाने में क्यों खर्च कर रही हैं?

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