पुलवामा हमले पर अब आया शत्रुघ्‍न सिन्‍हा का बयान, सिद्धू के सवाल पर दिया ऐसा जवाब

पुलवामा हमले को लेकर शत्रुघ्न सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है । उनके बयान को जानकर कुछ गुस्‍से में आ सकते हैं लेकिन जो बात कही गई हे उसे समझना भी बहुत जरूरी है । क्‍योंकि सिर्फ गुस्‍सा ही हर समस्‍या का समाधान नहीं ।

New Delhi, Feb 19 : 14 फरवरी, वैलेंटाइन डे का दिन, प्‍यार का दिन, मोहब्‍बत का दिन । लेकिन भारत में अब ये दिन ‘काले दिन’ के तौर पर याद किया जाएगा । 40 जवानों की शहादत भारत कभी नहीं भूल पाएगा । सीआरपीएफ के इन 40 जवानों को आतंकी हमले में मार दिया गया । कुछ अब भी अस्‍पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं । देश में गुस्‍से का दौर है, इस गुस्‍से के बीच कई बयान आ रहे हैं । कुछ गुस्‍से को और भड़का रहे हैं तो कुछ माहौल शांत करने की कोशिश में हैं । एक ऐसा ही बयान शत्रुघ्‍न सिन्‍हा का भी आया है ।

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शत्रुघ्‍न सिन्‍हा का बयान
पुलवामा हमले पर नवजोत सिंह सिद्धू की टिप्पणी के बाद नेता अब कुद भी बोलने से पहलेसौshatru बार जरूर सोच रहे होंगे । कुछ ऐसी ही सलाह अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्‍न सिन्‍हा भी सभी को देते हुए आ रहे हैं । आतंकी हमले से नाराज, परेशान शत्रुघ्न सिन्हा ने जल्दबाजी में किसी भी तरह की जवाबी कार्रवाई से सभी को आगाह किया है ।

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जोश में ना खो बैठें होश
शत्रुघ्न सिन्‍हा ने कहा, “जोश में कहीं अपना होश न खो बैठें । मैं जानता हूं कि पुलवामा में जो भी हुआ, उसके बाद गुस्सा उबल रहा है । यह कायरता का बेशर्मी भरा कृत्य है और इससे सबसे संभव कठोर तरीके से निपटा जाना चाहिए।” उन्होंने कहा – “हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने हमसे हिंसा के इस उन्मादी कृत्य का मुंहतोड़ जवाब देने का वादा किया है । हमें गुस्से में आकर जवाब नहीं देना चाहिए । हम सभी भारतीय घायल और चोट खाए हुए हैं । हमें कुछ करने से पहले अपने अगले कदम के बारे में गहराई से सोचना चाहिए ।”

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सावधानी से दें बयान
शत्रुझन सिन्‍हा ने राजनेताओं से भी अपील की, ऐसे संवेदनशील समय में सोच समझकर ही बयान दें । शत्रुघ्‍न ने कहा, “किसी को भी कुछ कहने को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है । भारतीय जनता अमनपसंद आवाजें अभी नहीं सुनना चाहती । भारत इस वक्त बहुत गुस्से में है ।” वहीं जब शत्रुघ्‍न से जब ये पूछा गया कि क्‍या भारत में पाकिस्‍तानी कलाकारों को बैन कर देना चाहिए । इस पर उन्‍होने कहा –  “सांस्कृतिक आदान-प्रदान और उनके साथ क्या करना चाहिए, इस बारे में अभी सोचना तक भी सही नहीं होगा । मैं यह कहना चाहूंगा कि यह मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर और आशा भोसले की जमीन है । हमें किसी दूसरे देश के गायकों की जरूरत क्यों पड़ती है?”