राहुल गांधी ने किया अखिलेश-माया का खेल खराब, मुलायम के रिश्तेदार के खिलाफ उम्मीदवार की घोषणा

अखिलेश यादव ने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी भी उनके गठबंधन में है, उनके लिये दो सीटें छोड़ी गई है, लेकिन अब कांग्रेस ने पहली सूची जारी कर अपने मंसूबे साफ कर दिये हैं।

New Delhi, Mar 08 : कांग्रेस ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर चल रही कयासों और अटकलों को खारिज कर दिया है, कांग्रेस ने गुरुवार देर शाम ऐलान कर दिया, कि आगामी लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी रायबरेली से ही चुनाव लड़ेगी। जबकि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से ताल ठोकेंगे, पार्टी ने 15 लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें से 11 यूपी के लिये है, जबकि चार गुजरात के लिये है।

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अखिलेश के रिश्तेदार के खिलाफ उम्मीदवार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी भी उनके गठबंधन में है, उनके लिये दो सीटें छोड़ी गई है, लेकिन अब कांग्रेस ने पहली सूची जारी कर अपने मंसूबे साफ कर दिये हैं, इतना ही नहीं सपा-बसपा गठबंधन को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किये हैं, बदायूं सीट से मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेन्द्र यादव सांसद हैं, वहां से भी कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जिससे साफ हो गया कि सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस नहीं है।

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बदायूं से मुस्लिम प्रत्याशी
मालूम हो कि सपा-बसपा गठबंधन ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि रायबरेली-अमेठी से प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, तो कांग्रेस ने बदायूं से पांच बार के पूर्व सांसद सलीम इकबाल शेरवानी को टिकट दिया है, कहा जा रहा है कि जिन मुस्लिम वोटों पर सपा-बसपा दावा ठोंक रहे हैं, कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार देने से उनका खेल खराब होगा, क्योंकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है, इससे बीजेपी की राह आसान होगी।

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कांग्रेस प्रत्याशी
कांग्रेस ने फरुखाबाद से सलमान खुर्शीद, धरोरा से जितिन प्रसाद, उन्नाव से अन्नू टंडन, कुशीनगर से आरपीएन सिंह, फैजाबाद से निर्मल खत्री, जालौन से बृजलाल, अकबरपुर से राजाराम पाल और सहारनपुर से इमरान मसूद को उम्मीदवार बनाया है।

बीजेपी की राह आसान
जिन 11 सीटों पर कांग्रेस ने प्रत्याशी की घोषणा की है, उनमें साल 2009 में 8 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, कहा जा रहा है कि पूर्वी यूपी प्रियंका गांधी और पश्चिमी यूपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के हवाले करने से प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ बढेगा, हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है इससे सपा-बसपा का खेल खराब होगा, क्योंकि चुनावी गणित के मुताबिक जितना गैर-बीजेपी वोटों का बंटवारा होगा, बीजेपी के लिये राह उतनी ही आसान होगी।