2014 में तोड़ा था तीस सालों का रिकॉर्ड, अब इतिहास रचने की तैयारी, क्या फिर बनेगी मोदी सरकार

सियासी रुप से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले यूपी में भी मोदी का जबरदस्त जादू चला, प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने अकेले 71 सीटें जीती।

New Delhi, Mar 10 : अगर 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले के समय को याद किया जाए, तो आपको लगेगा कि तब किसी राजनीतिक पार्टी की हवा या लहर नहीं सिर्फ एक व्यक्ति के नाम का सुनामी था, 16वें लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने मोदी ने नाम पर इस कदर मुहर लगाई, कि तमाम राजनीतिक पार्टियां सिर्फ देखती रह गई, बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें जीती, इसके साथ ही पिछले तीस साल का रिकॉर्ड भी धाराशायी हो गया, एनडीए को 336 सीटें मिली थी, 1984 में कांग्रेस के बाद बीजेपी पहली पार्टी है, जिसने अकेले बहुमत का आंकड़ा छुआ हो।

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मोदी लहर में सब शांत
543 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने अकेले 282 सीटें हासिल की, अगर एनडीए गठबंधन की बात करें, तो 336 सीटें खाते में आई, कांग्रेस गठबंधन महज 60 सीटों में सिमट गई, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस 46 सीटें ही जीत पाई, पीएम मोदी ने वड़ोदरा और वाराणसी दोनों सीटों से भारी बहुमत से जीत हासिल की।

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यूपी में सब पस्त
सियासी रुप से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले यूपी में भी मोदी का जबरदस्त जादू चला, प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने अकेले 71 सीटें जीती, जबकि सहयोगी अपना दल ने भी दो सीटें अपने नाम कर ली, यानी विरोधियों को सिर्फ सात सीटों में समेट दिया, मायावती की पार्टी का तो खाता भी नहीं खुला।

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देश भर में शानदार प्रदर्शन
सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि बीजेपी ने कई प्रदेशों में शानदार प्रदर्शन किया, मोदी के गृह राज्य गुजरात में 26 में से 26 सीटें, राजस्थान में सभी 25 सीटें, मध्य प्रदेश में 29 में से 27 और झारखंड में 14 में से 12 सीटें, दिल्ली में सात में से सात, उत्तराखंड में पांच में से पांच सीटें हासिल की थी।

अब इतिहास रचने की तैयारी
2014 में बीजेपी ने इतिहास रचा था, खुद वरिष्ठ नेता आडवाणी ने इसके लिये मोदी को धन्यवाद कहा, कि 2 सांसदों की पार्टी को 282 तक पहुंचाया, बीजेपी का दावा है कि पिछली बार से भी इस बार बड़ी जीत हासिल करेंगे, इस बार पूर्वोत्तर के लिये भी बीजेपी ने खास प्लान बनाया है, इसके साथ ही पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी पार्टी का ग्राफ बढा है, राजनीतिक विश्लेषकों की राय फिलहाल बंटी हुई है।