म्यांमार में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत किसी ने क्यों नहीं मांगा?

आप को याद होगा उरी के पहले भी एक सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी म्यामार में। लेकिन इस का सुबूत आज तक किसी ने नहीं मांगा।

New Delhi, Apr 07 : उरी के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर तमाम विपक्ष सुबूत मांग-मांग कर हलकान हो गया। फर्जिकल स्ट्राइक तक बता दिया। खून की दलाली बता दी। पुलवामा के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक पर भी लोग सुबूत मांग-मांग कर अपनी-अपनी पैंट उतार कर लोग खड़े हो गए हैं। लेकिन आप को याद होगा उरी के पहले भी एक सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी म्यामार में। लेकिन इस का सुबूत आज तक किसी ने नहीं मांगा। जानते हैं क्यों ? क्यों कि म्यांमार की सर्जिकल स्ट्राइक में मुसलमान नहीं मारे गए थे। लेकिन बाकी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में मुसलमान ही मारे गए। तो सारा प्रतिपक्ष मुसलमानों को खुश करने के लिए , मुस्लिम वोट बैंक के लिए, सुबूत मांगने के लिए, अपनी-अपनी पैंट उतार कर नंगा खड़ा हो गया।

Advertisement

इस में गलती प्रतिपक्ष की नहीं है , देश के मुसलमानों की है जो देश नहीं , पहले इस्लाम , मुसलमान और पाकिस्तान देखते हैं। सो सारा प्रतिपक्ष उन्हें रिझाने के लिए , पटाने के लिए , पैंट उतार कर खड़ा हो जाता है । भारत के मुसलमानों को अपना मिजाज बदलना होगा।

Advertisement

जिस दिन देश के मुसलमान अपना यह मिजाज बदल लेंगे , देश से इस तरह की समस्याएं सेकंड भर में दूर हो जाएंगी। एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक पर सुबूत मांगने की कमीनगी दूर हो जाएगी। कश्मीर से पत्थरबाजी और आतंकवाद खत्म हो जाएगा।

Advertisement

कश्मीर ही नहीं , देश भी जन्नत बन जाएगा। तमाम विपक्ष की मुसलमान के नाम पर दुकानदारी खत्म हो जाएगी। प्रतिपक्ष की राजनीति का एजेंडा बदल जाएगा । हिंदू-मुसलमान की राजनीति खत्म हो जाएगी। भाजपा अपने आप बदल जाएगी। और जो मुसलमान अपना यह मिजाज नहीं बदलेंगे तो लिख कर रख लीजिए , अंततः मुसलमान बरबाद हो जाएंगे। जैसे कि पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में बरबाद हो चुके हैं ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)