यूपी के लिये बीजेपी ने बदली रणनीति, साथी पर नकेल कसने की तैयारी

वैसे तो बीजेपी पूरे यूपी के लिये ही मिशन पचास फीसदी पर काम कर रही है, यानी 50 फीसदी वोट लाने के लिये काम किया जा रहा है।

New Delhi, Apr 08 : बीजेपी यूपी समेत ज्यादातर राज्यों में 2014 फॉर्मूले पर ही फिर से काम कर रही है, पार्टी ने दो दिन पहले राजस्थान में भी इसी फॉर्मूले को लागू किया, हनुमान बेनीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया, आपको बता दें कि बीजेपी लगातार नये साथियों को जोड़ने में लगी हुई है, अब पूर्वांचल की राजनीति करने वाले निषाद पार्टी को जोड़ा गया है, निषाद पार्टी के बीजेपी के साथ आने से सपा-बसपा गठबंधन को कितना नुकसान होगा, ये तो पता नहीं लेकिन बीजेपी को इसका फायदा जरुर मिल सकता है।

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छोटे दलों को साथ ले रहे
बीजेपी ने यूपी में साल 2014 में छोटे दलों की अहमियत समझते हुए अपना दल के साथ गठबंधन किया था, नतीजा बीजेपी के पक्ष में रहा, बीजेपी ने 71 और सहयोगी अपना दल ने दो सीटें जीती, फिर विधानसभा चुनाव में भी अपना दल के साथ ओ पी राजभर की पार्टी को साथ जोड़ा, हालांकि सरकार में होने के बावजूद राजभर विपक्ष की तरह ही बर्ताव कर रहे हैं, कहा जा रहा है कि योगी और अमित शाह ने राजभर को सीधा करने के लिये ही निषाद पार्टी की एनडीए में एंट्री करवाई है।

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आंकड़ों पर नजर
अगर आंकड़ों को देखें, तो निषाद पार्टी का पूर्वांचल में जनाधार माना जाता है, गोरखपुर में 3.5 लाख, महाराजगंज में 3 लाख, संत कबीर नगर में 2.5 लाख, बस्ती में 2.0 लाख, कुशीनगर में 1.50 और देवरिया में करीब 1.50 लाख मतदाता निषाद समाज के हैं, इतना ही नहीं देवरिया, बलिया और बनारस में भी इनकी अच्छी-खासी तादात है, जो किसी भी उम्मीदवार का भाग्य बदलने का दम रखती है।

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पूर्वांचल पर खास नजर
वैसे तो बीजेपी पूरे यूपी के लिये ही मिशन पचास फीसदी पर काम कर रही है, यानी 50 फीसदी वोट लाने के लिये काम किया जा रहा है, लेकिन पूर्वांचल के लिये खास प्लान बनाया गया है, इसी वजह से सहयोगियों को भी साधा जा रहा है ताकि मिलकर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस से लड़ाई लड़ी जाए। कहा जा रहा है कि ओपी राजभर के बार-बार आंख दिखाने से नाराज बीजेपी ने फैसला लिया है, कि अगर वो माने तो ठीक नहीं तो बाहर का भी रास्ता दिखा जाएगा, इसलिये डैमेज कंट्रोल की पहले ही तैयारी कर ली गई है।