क्या पत्नी के बदले भाई की कुर्बानी देने को तैयार हो गये हैं अखिलेश यादव, कहीं कोई डील तो नहीं

लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिवपाल और अखिलेश के बीच कोई डील हुई है, क्योंकि अक्षय भी अपनी सभाओं में चाचा पर सीधा हमला करने से परहेज कर रहे हैं।

New Delhi, Apr 12 : यूपी में मुलायम सिंह यादव के परिवार में उथल-पुथल मची हुई है, शिवपाल यादव ने कुछ दिन पहले ही अलग राजनीतिक पार्टी बनाई है, खुद शिवपाल फिरोजाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अब डिंपल यादव के सामने प्रत्याशी हटाकर उन्होने नई अफवाहों को जन्म दे दिया है। कहा जा रहा है कि 2014 लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव कन्नौज सीट से बेहद कम अंतर से जीती थी, इसलिये उन्हें डर लग रहा था कि अगर शिवपाल के प्रत्याशी ने वोट काट दिया, तो शायद कहीं वो चुनाव हार भी ना जाए, इसलिये परिवार में समझौता हुआ, जिसके बाद पूर्व मंत्री ने अपना प्रत्याशी वापस ले लिया।

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भाई की कुर्बानी
कुछ लोगों का कहना है कि पत्नी को जीताने के लिये अखिलेश यादव ने भाई की कुर्बानी दी है, जी हां, फिरोजाबाद सीट से खुद शिवपाल यादव चुनावी मैदान में हैं, तो सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय हैं, कहा जा रहा है कि दोनों के बीच समझौता हुआ है, जिसके तहत शिवपाल के खिलाफ अखिलेश चुनाव प्रचार के लिये नहीं जाएंगे।

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शिवपाल ने प्रत्याशी को नामांकन से रोका
शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने कन्नौज सीट से सुनील सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया था, हालांकि नामांकन से ठीक पहले शिवपाल ने उन्हें फिरोजाबाद बुला लिया और नामांकन से रोका, कहा जा रहा है कि अब कन्नौज में लड़ाई डिंपल यादव और बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक के बीच रह गया है। माना जा रहा था कि अगर शिवपाल के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे, तो डिंपल के लिये मुश्किल हो सकती थी, इसलिये प्रसपा ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया।

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फिरोजाबाद में शिवपाल भी घबराये हुए हैं
आपको बता दें कि फिरोजाबाद सीट समाजवादी पार्टी का गढ कहा जाता है, 2009 में खुद अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीत थे, हालांकि दो सीटों से जीतने की वजह से उन्होने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी, जिसके बाद डिंपल यादव इस सीट से चुनावी मैदान में उतरी, लेकिन कांग्रेस के राज बब्बर ने उन्हें उपचुनाव में हरा दिया, फिर 2014 में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यहां से चुनाव लड़े और जीत कर संसद पहुंचे। इस बार फिरोजाबाद में लड़ाई शिवपाल और अक्षय के बीच माना जा रहा है, हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कहीं इन दोनों के टक्कर में बीजेपी प्रत्याशी बाजी ना मार जाए, क्योंकि शिवपाल यादव का भी यहां अच्छा जनाधार माना जाता है।

कोई डील हुई है
लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिवपाल और अखिलेश के बीच कोई डील हुई है, क्योंकि अक्षय भी अपनी सभाओं में चाचा पर सीधा हमला करने से परहेज कर रहे हैं, दोनों के निशाने पर बीजेपी है, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी भी चाहती है कि लड़ाई त्रिकोणीय हो, ताकि बीजेपी उम्मीदवार के लिये माहौल अनुकूल हो सके। शिवपाल की पार्टी के प्रवक्ता ने डील की बात को अफवाह करार देते हुए कहा कि कन्नौज से प्रत्याशी ना उतारना शिवपाल जी व्यक्तिगत फैसला था, वो इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, बाकी फिरोजाबाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष बड़ी मार्जिन से चुनाव जीतेंगे।