मायावती ने चुनाव से पहले ही अखिलेश यादव को दिया जोरदार झटका, इस सीट से उतार दिया उम्मीदवार

सपा प्रमुख अखिलेश यादव जौनपुर सीट से अपने भतीजे और लालू प्रसाद के दामाद तेज प्रताप को टिकट देना चाहते थे, तेज प्रताप फिलहाल मैनपुरी से सांसद हैं।

New Delhi, Apr 16 : बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में गठबंधन के अपने सहयोगी सपा को बड़ा झटका दिया है, दरअसल मायावती ने टिकट बंटवारे के बाद सपा को एक नहीं बल्कि दो सीटों पर करार झटका दिया है। मायावती ने सपा के कोटे में पड़े जौनपुर सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है, इसके साथ ही माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई को भी टिकट दे दिया है, आपको बता दें कि मुख्तार अंसारी को अखिलेश ने टिकट देने से मना कर दिया था।

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जौनपुर सीट से प्रत्याशी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिये 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की, इसके साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को झटका लगा है, दरअसल समाजवादी पार्टी जौनपुर सीट से उम्मीदवार उतारना चाहती थी, लेकिन बसपा ने यहां से उम्मीदवार घोषित कर दिया, सपा चाहती थी, कि बसपा जौनपुर सीट के बदले बलिया सीट से उम्मीदवार उतार ले, लेकिन मायावती ने अखिलेश की इस मांग को खास तवज्जो नहीं दी।

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तेज प्रताप को उतारना चाहते थे
आपको बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव जौनपुर सीट से अपने भतीजे और लालू प्रसाद के दामाद तेज प्रताप को टिकट देना चाहते थे, तेज प्रताप फिलहाल मैनपुरी से सांसद हैं, लेकिन इस बार उनका टिकट काटकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी से उम्मीदवार बनाया गया है, इसलिये तेज प्रताप के लिये दूसरी सीट तलाश की जा रही है।

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अंसारी बंधुओं को पार्टी में लेने से किया था मना
सिर्फ जौनपुर सीट ही नहीं बल्कि बीएसपी ने जिन 16 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, उसमें माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी का भी नाम शामिल है, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अंसारी बंधुओं को पार्टी में लेने से साफ मना कर दिया था, जिसके बाद चाचा शिवपाल और उनके बीच काफी मतभेद भी हुए थे, उसके बावजूद उन्होने कहा था कि वो माफियाओं को टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं।

गाजीपुर से टिकट
सपा में जगह नहीं मिलने के बाद मुख्तार अंसारी ने बसपा का रुख किया था, मायावती ने उन्हें विधानसभा चुनाव में भी टिकट दिया था, अब मुख्तार के भाई को बसपा ने गाजीपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है। देखना है कि क्या मायावती के इस फैसले पर अखिलेश आपत्ति जाहिर करते हैं, या समझौता कर आगे बढते हैं।