हां, मैं पप्पू, लतीफा गांधी हूं!

अभी आज चौकीदार चोर है पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में भले अपनी गलती मांग कर माफ़ी मांग ली है लेकिन यह नारा लगाना नहीं छोड़ा है।

New Delhi, Apr 22 : राजीव गांधी और संजय गांधी तो मुंह में चांदी का चम्मच ले कर पैदा हुए थे। लेकिन राहुल गांधी मुंह में सोने का चम्मच ले कर पैदा हुए। वह सोने का चम्मच अभी उन के मुंह से निकला नहीं है। बाक़ी सोनिया गांधी के पुत्र मोह ने उन्हें बुरी तरह बिगाड़ दिया। राहुल न सिर्फ़ बदमिजाज , सनकी , बड़बोले बन गए बल्कि नशेड़ी भी बन गए। अमरीका में एक बार स्पेनिश महिला मित्र के साथ हेरोइन के एक पैकेट और एक लाख साठ हज़ार डालर के साथ बोस्टन में लोगन एयरपोर्ट पर पकड़े गए।

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सोनिया के हाथ-पैर जोड़ने पर उदारमना अटल बिहारी वाजपेयी ने बिना किसी शोर शराबे के किसी तरह राहुल गांधी को अमरीका की एफ बी आई से छुड़वाया। राहुल की ऐसी अय्याशियों की अनगिन कहानियां हैं। उन की विदेश यात्राओं का ज़िक्र कीजिए , लोग समझ जाते हैं कि अय्याशी यात्रा। इस फेर में राहुल गांधी ने अपना जीवन तो नष्ट किया ही , एक शानदार पार्टी कांग्रेस को भी नष्ट कर बैठे। पूरी तरह तबाह कर बैठे कांग्रेस को। आलू की फैक्ट्री लगाने , ट्रक और ट्रैक्टर में पेट्रोल डालने जैसी मूर्खता भरे बयान , चौकीदार चोर है जैसा फर्जी नारा लगा कर कांग्रेस की कब्र खोद बैठे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक , एयर स्ट्राइक पर सुबूत मांग-मांग कर कांग्रेस को ताबूत में लिटा चुके हैं। अपने नित नए मूर्खता भरे बयान और अंदाज़ से लतीफ़ा बन कर देश में उपस्थित हैं राहुल गांधी। भारतीय राजनीति में ऐसा विदूषक कोई और नहीं मिल सकता।

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एक समय भारतीय राजनीति में राजनारायण भी अपनी बातों से बहुत हंसाते थे । लालू यादव भी अपने हंसाने की बातों के लिए जाने जाते हैं । अटल जी भी कई बार अपनी गंभीर बातों से हंसा-हंसा देते थे। लेकिन राहुल गांधी तो स्वयं लतीफ़ा बन कर उपस्थित हैं। राहुल गांधी का नाम लेने मात्र से लोग हंस पड़ते हैं। ऐसे बुद्धिहीन , निकम्मे और नशेड़ी नेता भारत में राहुल गांधी इकलौते हैं। संसद में सोने वाले , बदजुबानी करने वाले , झूठ बोलने वाले बहुतेरे नेता हैं। लेकिन सोने , भूकंप लाने की बात करने और ज़बरदस्ती गले लिपट कर आंख मारने वाले राहुल गांधी इकलौते हैं।

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अभी आज चौकीदार चोर है पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में भले अपनी गलती मांग कर माफ़ी मांग ली है लेकिन यह नारा लगाना नहीं छोड़ा है। चुनावी ज़रूरत और लत दोनों ही की विवशता है उन की यह। वैसे भी अभी उन को अपने लतीफ़ा गांधी होने के प्रमाण के कई और किस्से भारतीय राजनीति को उपलब्ध करवाने हैं। पप्पू गांधी अब शायद बीती हुई बात है। उन की नागरिकता , डिग्री आदि की बातें उन के इस लतीफा गांधी की छवि के आगे पता नहीं लगतीं। लोग भूल जाते हैं। जनेऊ पहन कर दत्तात्रेय गोत्र बता कर इस पारसी व्यक्ति का मंदिर-मंदिर घूमना भी अब लोग लतीफ़े के रुप में ही याद करते हैं। अलग बात है कि मीडिया वाले इसे उन का साफ्ट हिंदुत्व बताते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)