Opinion- जया प्रदा पर क्यों चुप हैं सब, क्या ये स्त्री अस्मिता का प्रश्न नहीं हैं

जयाप्रदा को आज़म और अब्दुल्ला द्वारा आम्रपाली और अनारकली कहने पर भी ख़ामोश हैं। ख़ामोश ही रहेंगी। इन को इन की ख़ामोशी की बधाई दीजिए।

New Delhi, Apr 23 : आम्रपाली मतलब नगर वधू । नगर वधू मतलब तवायफ़। वेश्या। बाप तो बाप बेटा सुभान अल्ला। आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला ने अपनी अम्मा की उम्र की जयाप्रदा को अनारकली बता दिया है। बता दिया है भाषण में कि अली और बजरंग बली तो चाहिए। लेकिन अनारकली नहीं चाहिए।

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अनारकली मतलब अकबर की रखैल। इतिहास में यही दर्ज है। लाहौर में इस अनारकली की कब्र मौजूद है। कमाल अमरोही की काल्पनिक कहानी और संवाद वाली के आसिफ़ की फिल्म मुगले आज़म फिल्म में बांदी है अनारकली। अकबर के बेटे सलीम की माशूका है। कुल जमा यह मान लीजिए कि आम्रपाली और अनारकली समानार्थी शब्द हैं। बाप-बेटे की राय यही बनी है कि जयाप्रदा तो वेश्या है। स्त्री संगठन , क्रांतिकारी स्त्रियां , बात-बेबात कैंडिल जुलूस निकालने वाली स्त्रियां , आज़म खान द्वारा , जयाप्रदा की चड्ढी का रंग बताने पर भी ख़ामोश थीं। जयाप्रदा को आज़म और अब्दुल्ला द्वारा आम्रपाली और अनारकली कहने पर भी ख़ामोश हैं। ख़ामोश ही रहेंगी। इन को इन की ख़ामोशी की बधाई दीजिए।

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क्यों कि जयाप्रदा स्त्री नहीं हैं । स्त्री अस्मिता का प्रश्न नहीं हैं जयाप्रदा।
गोया फ़िल्म इंडस्ट्री की भी नहीं हैं जयाप्रदा । क्यों कि यह बात आज़म खान और अब्दुल्ला ने कही है , जो मुसलमान हैं। और तथ्य है कि मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री दाऊद इब्राहीम के काले पैसे पर वैसे ही टिकी है जैसे शिव के त्रिशूल पर काशी।

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तो हिम्मत कैसे पड़े किसी की बोलने की आज़म खान और अब्दुल्ला की बात पर। बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन। फिर यही हाल अपने स्त्री सगठनों का भी है कि उन के एन जी ओ को जहां-जहां से फंडिंग मिलती है , जयाप्रदा के पक्ष में आवाज़ उठाने से उन की फंडिंग बंद हो जाने का अंदेशा है। या फिर उन के थिंक टैंक के आका लोग नाराज हो जाएंगे । एक बड़ा डर यह भी है। वैचारिक गुलामी का भी अपना आनंद है। वैचारिक बंधुआ बन कर जीने का अपना वैभव है। सो बेचारी वह लिपी-पुती क्रांतिकारी औरतें भी चुप हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)