मोदी के खिलाफ पूर्व फौजी को छोड़ना पड़ा मैदान, कारण जान सपा सुप्रीमो भी पकड़ लेंगे सिर

मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच में बीएसएफ से बर्खास्त किये जाने के संबंध में दो नामांकन पत्रों में तेज बहादुर ने अलग-अलग जानकारी दी थी।

New Delhi, May 01 : पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से सपा प्रत्याशी तेज बहादुर यादव के लोकसभा चुनाव लड़ने के सपने पर पानी फिर गया है, निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी किये गये दो नोटिसों का जवाब देने के लिये बुधवार 11 बजे तेज बहादुर अपने दो वकीलों के साथ पहुंचे, हालांकि बताया जा रहा है कि उनका नामांकन रद्द किया जा चुका है, यानी वाराणसी सीट पर सपा-बसपा गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं है।

Advertisement

नामांकन पत्र खारिज
निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर के नामांकन को खारिज कर दिया है, अब शालिनी यादव समाजवादी पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में पीएम मोदी को टक्कर देंगी, नामांकन पत्र के नोटिस के जवाब देने के दौरान तेज बहादुर यादव के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर नोक-झोंक हुई, जिसके बाद पुलिस ने तेज बहादुर के समर्थकों को कचहरी परिसर से बाहर निकाला।

Advertisement

अलग-अलग जानकारी
आपको बता दें कि मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच में बीएसएफ से बर्खास्त किये जाने के संबंध में दो नामांकन पत्रों में तेज बहादुर ने अलग-अलग जानकारी दी थी, जिस पर निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें नोटिस भेजा था, प्रेक्षक प्रवीण कुमार की मौजूदगी में नामांकन पत्रों की जांच शुरु हुई। निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर को बर्खास्तगी के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर प्रस्तुत होने को कहा गया था।

Advertisement

बर्खास्तगी का प्रमाण पत्र
निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर से कहा था कि वो बीएसएफ से बर्खास्तगी का प्रमाण पत्र लेकर आएं, ताकि स्थिति स्पष्ट हो, कि उन्हें फौज से क्यों निकालागया, जांच में पाया गया, कि तेज बहादुर पहले नामांकन में भारत सरकार या प्रदेश सरकार के अधीन पद धारण करने के दौरान भ्रष्टाचार या अभक्ति के कारण पदच्युत किया गया है के सवाल के जवाब में हां लिखा, और विवरण में 19 अप्रैल 2017 लिखा था।

दूसरा शपथ पत्र
दूसरे नामांकन के साथ दिये शपथ पत्र में उन्होने पर्चा में गलती से हां लिख दिया, साथ ही शपथ पत्र में बताया कि तेज बहादुर यादव पुत्र शेर सिंह को 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्त किया गया, लेकिन भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा पद पर रहने के दौरान भ्रष्टाचार एवं अभक्ति के कारण पदच्युत नहीं किया गया है।