तिल-तिल कर मर रहा था बच्चा, आखिरी समय में CRPF बनी फरिश्ता, कश्मीरी बाप ने बताई दास्तां
कश्मीरियों पर सेना के जुल्म की कई सच्ची-झूठी खबरें आती हैं लेकिन किस तरह CRPF ने एक दुखी कश्मीरी बाप का दिल जीता और उसके ब्लड कैंसर से जूझते बच्चे के लिए वो फरिश्ता बन गई, ये आगे पढ़ें ।
New Delhi, Jun 04 : जम्मू और कश्मीर से आए दिन नफरत भरी खबरें आती रहती हैं, कुछ कश्मीरी भारत और भारतीय सेना को कोसने में पीछे नहीं तो कुछ ऐसे भी हैं जो सेना की अहमियत को जान रहे हैं, और उनकी वजह से खुशहाल जी रहे हैं । वो लोग जो पत्थरबाजों के हिमायती हैं उन्हें ये खबर जरूर राहत पहुंचाएगी । उनके सीने में जो नफरत है उसे सुकून जरूर पहुंचाएगी । मजबूरी में फंसे कश्मीरियों के लिए CRPF मददगार बन कर सामने आ रही है । ये शब्द हैं उस कश्मीरी शख्स के जिसके मासूम से बच्चे को अब एक नई जिंदगी मिली है ।
मोहम्मद मंसूर की दास्तां
श्रीनगर से सटे एक छोटे से कस्बे में रहने वाले मोहम्मद मंसूर आज CRPF का धन्यवाद करते नहींथकते । मोहम्मद मंसूर बताते हैं कि उनके निकाह के कई सालों बाद बड़ी मिन्नत से पैदा हुए बच्चे का नाम उन्होने आमीन रखा था । कश्मीर के हालात कभी भी एक अच्छी जिंदगी गुजर बसर करने लायक नहीं रहे, बावजूद इसके वो किसी तरह अपने परिवार का पेट पालते रहे । जब बेटा 12 साल का हुआ तो उसे कोई बीमारी लग गई, उसकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती चली गई । खूब इलाज कराया, जब बड़े अस्पताल में दिखाया तो पता चला उसे ब्लड कैंसर है । ठीक होने में बहुत पैसा लगेगा ।
बेटे के लिए दर-दर की ठोकरें खाई
मंसूर ने बताया कि उन्होने बेटे के लिए किस तरह एक-एक चीज बेच दी । जब घर में कुछ बेचने लायक ना बचा तो हर उस शख्स के पास पहुंचा जो कश्मीर को बचाने की दुहाई देता है । लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली । मंसूर ने बताया कि आमीन के इलाज के लिए हर घर के दरवाजे तक गए, लेकिन जब कुछ मदद नहीं मिली तो पूरी तरह टूट गए । दिमाग में बस एक ही सवाल था कि जिगर के टुकड़े को कैसे बचाएं, कि तभी कुछ नजर आया, CRPF की बख्तरबंद गाड़ी पर ‘मददगार’ लिखा हुआ था ।
हिम्मत कर मांगी मदद, अब राहत है
मंसूर ने बताया कि उसने इस बारे में सुना तो है लेकिन CRPF के पास जाने की हिम्मत और भरोसा कैसे लाता । लेकिन कोई रास्ता ना होने के कारण हिम्मत जुटाकर मैं मदद मांगने पहुंच ही गया । सीआरपीएफ के अधिकारियों ने मेरी बात सुनी और मदद का वादा भी किया । शाम को ही कुछ जवान सादी वर्दी में मेरे घर पहुंचे, हालात जाने और फिर आमीन की पूरी जिम्मेदारी अपने सिर ले ली । उन्होने कहा कि मुझे अब उसके इलाज के लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं । सीआरपीएफ की मदद से अब आमीन पहले से ठीक है । CRPF का कैसे शुक्रिया अदा करूं, समझ नहीं आता । काश, हर कश्मीरी इस बात को समझ पाता ।
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