कश्‍मीर में हिंदू मुख्‍यमंत्री बनाने की मांग, शिवसेना ने कहा शाह हैं तो संभव हैं

हालांकि परिसीमन पर पिछली सरकार ने 2026 तक रोक लगाई हुई है, लेकिन केन्‍द्र इस फैसले को पलटती है तो अच्‍छा ही होगा । किन केंद्र सरकार फैसला पलटती है तो बढ़िया होगा ।

New Delhi, Jun 06 : चुनाव आयोग ने अमरनाथ यात्रा के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव की बात कही है । 19 जून 2018 से राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन है । शिवसेना ने नई सरकार पर भरोसा जताते हुए कश्‍मीर के हालात जल्‍द बदलने की उम्‍मीद जताई है । शिवसेना ने भरोसा जताया है कि अमित शाह की अगुवाई में कश्मीर का नक्शा जरूर बदलेगा । शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कश्‍मीर का जिक्र किया है और लिखा है कि अमित शाह के गृह मंत्रालय में होने से कश्‍मीर को लेकर काफी कुछ बदल सकता है ।

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परिसीमन का समर्थन
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को लेकर चल रही चर्चा के बीच शिवसेना ने भी इसका समर्थन किया है। सामना में लिखा गया है कि अगर जम्मू-कश्मीर में नया मुख्यमंत्री एक हिंदू बनता है, वहां पर कश्मीरी पंडितों की वापसी होती है तो देश के लिए अच्छी खबर होगी । सामना में छपे लेख के मुताबिक अमित शाह की सोच किसी से छिपी नहीं है । उन्होंने तो पश्चिम बंगाल में भी जय श्री राम के नारे लगाए, अब अगर कश्मीर में भी ऐसा कुछ हो या राजनीतिक नक्शे में बदलाव की बात आए तो संभव है ऐसा हो । हालांकि परिसीमन पर पिछली सरकार ने 2026 तक रोक लगाई हुई है, लेकिन केन्‍द्र इस फैसले को पलटती है तो अच्‍छा ही होगा । किन केंद्र सरकार फैसला पलटती है तो बढ़िया होगा ।

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कश्‍मीर का नक्‍शा जरूर बदलेगा : शिवसेना
शिवसेना ने मुखपत्र सामना में भरोसा जताया है कि अमित शाह की अगुवाई में कश्मीर का नक्शा जरूर बदलेगा । इसमें लिखा है कि अभी जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में 4 सीटें हैं लेकिन जम्मू का एरिया ज्यादा है । ऐसे में वहां पर परिसीमन कर सीटों की संख्या भी बढ़ानी चाहिए । वहां पर पहले सीटों को इस हिसाब से रखा गया ताकि कोई हिंदू मुख्यमंत्री ना बन सके । लेख के अनुसार पहले तो कश्मीर के राजा हरि सिंह ही थे, लेकिन आज़ादी के बाद कोई भी हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है । मुस्लिमों को कश्मीर एक तोहफे में नहीं दिया गया था ।

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गृह मंत्रालय ने किया खंडन
हालांकि आपको बता दें कि परिसीमन की खबरों का गृह मंत्रालय की ओर से खंडन किया गया , कहा गया कि इसे लेकर कोई चर्चा नहीं की जा रही है । आपको बता दें अमित शाह ने गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही जम्‍मू कश्‍मीर को लेकर अहम सुरक्षा बैठक की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अलावा कई सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी शामिल हुए थे । हालांकि इस बैठक की हलचल कश्‍मीर तक रही, महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह के कदम को नौसीखिया तक बता डाला । बहरहाल आपको बता दें जून 2018 में बीजेपी की ओर से पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ लेने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में निर्वाचित सरकार नहीं है।