अलीगढ़ : आज हम एक बच्ची के दरिंदों में हिन्दू-मुसलमान तलाश रहे हैं…

अलीगढ़ में एक मासूम बच्ची की हत्या पर अगर “हिंदू-मुसलमान” हो रहा है और मेरी तरह आप भी इस वजह से शर्मिंदा हैं तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ इस देश का सिकलुर गैंग ज़िम्मेदार है…

New Delhi, Jun 08 : ये लिबरल गैंग हमेशा गुड़गांव के “टोपी कांड” जैसी घटनाओं को हिन्दू मुसलमान से जोड़ देता है… कभी ये बताने लगता है कि मोदी की जीत से मुस्लिम कितने डरे हुए हैं… कभी ये घिनौने लोग “कठुआ कांड” को हिंदुओं से जोड़ देते हैं… कभी ये ट्रेन में सीट की लड़ाई को लेकर मारे गए जुनैद को “मुस्लिम शहीद” घोषित कर देते है...

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ये इतने अहमक हैं, या यूं कहें कि इतने चालाक हैं कि गुड़गांव के दो पड़ोसियों की लड़ाई में पीटनेवाले परिवार का धर्म ढूंढ कर बता देते हैं कि मुसलमानों पर इस देश में कितने ज़ुल्म हो रहे हैं… इन्हें “हिन्दू भीड़” की दरिंदगी तो दिखती है लेकिन दिल्ली में ईद के दिन आई गुंडागर्दी की तस्वीरों में पत्थर फेंकने वाले इन्हें “शांति-दूत” दिखते हैं…

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दरअसल ये सिकलुर, लिबरल, बुद्धिजीवी लोग एक “रुदाली गैंग” की तरह काम करते हैं जो रोज़ सुबह एक लाश की तलाश से अपना दिन शुरू करता है… लेकिन शर्त ये होती है कि वो लाश किसी एक खास सम्प्रदाय की हो… लेकिन इस बार सिकलुर गैंग को जो लाश मिली है ना उसने उन्हें बेनकाब कर दिया है…

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मेरी तुच्छ और छोटी सी समझ सिर्फ इतना कहती है कि हर जघन्य अपराध में हमें धर्म की खोज करने से पहले ये सोचना चाहिए कि आखिर हम और हमारा समाज ऐसा क्यों होते जा रहा है??? अपराधी सिर्फ अपराधी होता है… उसका कोई धर्म नहीं होता… लेकिन अफसोस, ऐसा हुआ नहीं… सिकलुर गैंग ने जो घिनौनी शुरुआत की थी ये उसी का परिणाम है कि आज हम एक बच्ची के दरिंदों में हिन्दू-मुसलमान तलाश रहे हैं…
( लेखक के फेसबुक वॉल से साभार )