केजरीवाल के हाथ से निकल सकती है मुफ्त सफर योजना, जानिये क्या है पूरा मामला

दिल्ली मेट्रो ने इस योजना को लागू करने के लिये कम से कम 8 महीने का समय मांगा है।

New Delhi, Jun 14 : दिल्ली में महिलाओं को मेट्रो और बसों में मुफ्त यात्रा कराने की योजना सीएम केजरीवाल के हाथ से निकल सकती है, दरअसल इसकी एक बड़ी वजह इसकी मंजूरी है, उस मंजूरी को भले दिल्ली सरकार महज औपचारिकता बता रहे हैं, लेकिन उनकी वजह से इस योजना का भविष्य नई सरकार के हाथों में जा सकता है। केजरीवाल योजना के लिये किराया निर्धारण समिति से मंजूरी लेने की दलील को बेशक औपचारिकता मान रहे हों, लेकिन इसकी वजह से योजना मौजूदा सरकार के हाथ से छिटक सकती है और फरवरी 2020 में आने वाली नई सरकार के हाथ जा सकती है। दिल्ली मेट्रो ने भी अपने प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया है कि इसे लागू करने के लिये कम से कम 8 महीने का समय चाहिये।

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केन्द्र सरकार को प्रस्ताव
दरअसल किराया निर्धारण समिति की अपनी औपचारिक प्रक्रिया है, दिल्ली सरकार इस योजना को मेट्रो के प्रस्ताव के मुताबिक एफएफसी में ले जाने को तैयार होता है, तो उसके गठन के लिये डीएमआरसी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजेगी, इसके बाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की तलाश कर केन्द्र इसकी अध्यक्षता के लिये तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करेगा।

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काम शुरु
कमेटी में दिल्ली और केन्द्र सरकार के एक-एक प्रतिनिधि भी होंगे, केन्द्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद कमेटी इस पर काम शुरु करेगी, मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि कमेटी के गठन और उनकी सिफारिशें आने की प्रक्रिया काफी लंबी है, अब तक 4 एफएफसी गठन के बाद सिफारिशें देने में न्यूनतम 3 महीने का समय लगाया है।

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8 महीने का समय
दिल्ली मेट्रो ने इस योजना को लागू करने के लिये कम से कम 8 महीने का समय मांगा है, देरी की आशंका को देखते हुए दिल्ली सरकार योजना को एफएफसी कमेटी में ले जाने की बात पर सवाल उठा रही है, सब्सिडी का हवाला देते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि कमेटी में जाने की जरुरत नहीं लगती, फिर भी इसे औपचारिकता बताते हुए पहले दिन से ही दिल्ली मेट्रो के प्रस्ताव पर किसी तरह के टकराव से बचते दिखे, उन्होने सिर्फ इतना कहा कि केन्द्र सरकार को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिये।

योजना का भविष्य
केजरीवाल सरकार के इस कार्यकाल को सिर्फ साढे सात महीने बचे हैं, तयशुदा समय के हिसाब से अगर विधानसभा चुनाव के चुनाव हुए तो जनवरी में अधिसूचना जारी हो सकती है, ऐसे में दिल्ली सरकार के पास दिसंबर तक का समय है, योजना का भविष्य बहुत कुछ इस पर टिका है कि कमेटी के गठन में केन्द्र कितनी तेजी दिखाता है।