कभी 250 रुपये के लिये मैच खेलता था ये गेंदबाज, इस स्टार क्रिकेटर ने बदल दी किस्मत

नवदीप ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो क्रिकेट कोचिंग की फीस का खर्च तक नहीं उठा पाता, इसलिये सैनी टेनिस बॉल से खेलते थे।

New Delhi, Jul 22 : 3 अगस्त से शुरु होने वाले वेस्टइंडीज दौरे के लिये भारतीय टीम की घोषणा हो चुकी है, इस बार टीम इंडिया में एक तूफानी गेंदबाज को मौका दिया गया है, ये गेंदबाज 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार गेंदबाजी करता है, नवदीप सैनी को सीमित ओवरों के प्रारुप में टीम में मौका दिया गया है, आईपीएल में वो आरसीबी से खेलते हैं, इस साल आईपीएल में भी उनकी रफ्तार चर्चा का विषय बनी रही।

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संघर्षपूर्ण रहा सफर
नवदीप हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले हैं, वो लगातार 140 की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं, उन्होने 21 साल की उम्र में दिल्ली के लिये रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था, उनकी झन्नाटेदार गेंदों से सबसे पहले गौतम गंभीर प्रभावित हुए थे और उनके लिये चयनकर्ताओं तक से भिड़ गये थे, कहा जाता है कि नवदीप सैनी को यहां तक लाने में गंभीर का बड़ा रोल है, पहले सैनी टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलते थे, जहां उन्हें हर मैच के लिये 250 से 500 रुपये तक मिलते थे, जो उनकी पॉकेटमनी होती थी।

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साधारण परिवार में जन्म
नवदीप ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो क्रिकेट कोचिंग की फीस का खर्च तक नहीं उठा पाता, इसलिये सैनी टेनिस बॉल से खेलते थे, करनाल प्रीमियर लीग में खेलने के दौरान दिल्ली के सुमित नरवाल ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें खेलने के लिये दिल्ली लाये। जहां उन्होने गौतम गंभीर को नेट पर गेंदबाजी की, गौती उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्होने दिल्ली रणजी टीम के चयनकर्ताओं से कहा कि उन्हें मौका दे, वो स्पेशल टैलेंट हैं।

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नेट गेंदबाज
अभी हाल ही में संपन्न विश्वकप में नवदीप सैनी को नेट गेंदबाज बनाकर इंग्लैंड भेजा गया था, उन्होने नेट पर रोहित शर्मा, विराट कोहली और धोनी जैसे बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजी की, माना जा रहा है कि जल्द ही वो टीम इंडिया में अपना स्थान पक्का कर लेंगे, फिलहाल वेस्टइंडीज दौरे के लिये उनका टीम में चयन हो चुका है।

छलक उठे खुशी के आंसू
नवदीप के पिता अमरजीत सैनी ने कहा कि बेटे ने हमारे सपने को पूरा कर दिया, जो शहर और चीजें हम कभी नहीं देख पाते, वो बेटे के प्रयासों से देखने को मिल रही है, नवदीप ने मेरे सामने मोहाली में खेला, तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, बेटा मैदान में गेंदबाजी कर रहा था, मेरी आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे।