ऑर्टिकल 370- हलचल के बीच ‘गोल्डन चांस’ को गंवाना नहीं चाहते नीतीश कुमार

बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी की मदद से ही मुख्यमंत्री हैं, नीतीश ने खुद अब तक इस मामले पर कुछ भी नहीं कहा है।

New Delhi, Aug 06 :  ऑर्टिकल 370 पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने सरकार के फैसले का विरोध किया है, जदयू राज्यसभा से वॉकआउट कर गई, तीन तलाक के मुद्दे पर भी जदयू ने ऐसा ही कदम उठाया था, ऐसे में जदयू एनडीए में होकर भी बीजेपी से अलग रणनीति पर काम कर रही है, जिसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, एक्सपर्ट्स के मुताबिक बिहार के सीएम और जदयू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीतीश कुमार दोहरी चाल चलने में माहिर खिलाड़ी हैं, ये तब और महत्वपूर्ण है, जब पूर्व सीएम लालू प्रसाद राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, ऐसे में सुशासन बाबू के पास गोल्डन चांस हैं।

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अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने की कोशिश
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि ऑर्टिकल 370 पर जदयू का स्टैंड बताता है कि नीतीश अप ने हर विकल्प को खोले रखना चाहते हैं, एक तरफ अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने की कोशिश में हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी को संदेश भी दे दिया, हालांकि किसी दौर में वॉकआउट भी एक तरह के विरोध का तरीका माना जाता है, लेकिन आज की राजनीति में इसका मतलब समर्थन भी होता है।

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नीतीश की मजबूरी विरोध
जदयू को अपना चेहरा बचाना है, दामन साफ रखना है, मुस्लिमों के बीच अपने आपको उनका हितैषी बताना है, तो विरोध करना उनकी मजबूरी है, अल्पसंख्यक वोट लेने के लिये नीतीश को ये दिखाना होगा, कि तीन तलाक, ऑर्टिकल 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे पर वो एनडीए में रहते हुए भी बीजेपी की नीतियों से अलग राय रखते हैं।

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साथ रहेंगे या होंगे अलग
बिहार में नीतीश बीजेपी की मदद से ही मुख्यमंत्री हैं, नीतीश ने खुद अब तक इस मामले पर कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन जदयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री श्याम रजक ने पार्टी का स्टैंड क्लीयर कर दिया, उन्होने ऑर्टिकल 370 को खत्म करने पर काला दिन बताया, साथ ही एनडीए में बने रहने की भी बात कही, ऐसे में साफ है कि नीतीश दोहरी राजनीति कर रहे हैं, बीजेपी की मदद से सरकार भी चलाना है और उनसे अलग राय भी रखनी है।

लालू की गैरमौजूदगी में गोल्डन चांस
बिहार में मुस्लिम लालू और कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं, ऐसे में नीतीश लगातार कोशिश में हैं, कि अल्पसंख्यकों का भरोसा जीता जाए, लालू की गैरमौजूदगी का असर दिख रहा है, राजद का जनाधार घट रहा है, अल्पसंख्यकों का उनसे मोहभंग हो रहा है, ऐसे में इस समुदाय के लोग अब नीतीश की ओर देख रहे हैं, इसलिये नीतीश के लिये ये गोल्डन चांस माना जा रहा है कि वो उनका भरोसा जीते, इसलिये बार-बार नीतीश बीजेपी से अलग अपनी राय दिखा रहे हैं।