INX मीडिया केस – चिदंबरम को क्यों नहीं मिली हाई कोर्ट से राहत, ये है खास वजह

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चिदंबरम से जुड़ा आईएनएक्स मीडिया मामला मनी लांड्रिंग का एक क्लासिक उदाहरण है।

New Delhi, Aug 21 : पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम की मुश्किलें अब बढने वाली है, आईएनएक्स मीडिया केस में उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है, दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने 24 पेज के फैसले में उन्हें अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया है, मामले में कोर्ट ने साफ-साफ कहा, कि आईएनएक्स मीडिया केस में मनी लांड्रिंग के मामले में वो मुख्य साजिशकर्ता हैं, कोर्ट ने उन्हें इस मामले का किंगपिन कहा है।

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सीबीआई और ईडी की टीम उनके घर पहुंची
हाई कोर्ट के मुताबिक प्रभावी जांच के लिये उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरुरत है, चिदंबरम की ओर से कानूनी एक्सपर्ट की टीम सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली, दूसरी ओर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की टीम भी उनसे पूछताछ के लिये उनके घर पहुंची, लेकिन अधिकारियों को चिदंबरम नहीं मिले, जिसके बाद उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

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याचिकाकर्ता को जमानत नहीं
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम पर अपना आदेश सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा, कि वो आईएनएक्स मीडिया मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं, जस्टिस सुनील गौड़ ने कहा, तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने आदेश में कहा, कि मनी लांड्रिंग का ये मामला पहले दर्जे का है, याचिकाकर्ता पर लगे आरोप गंभीर हैं, कोर्ट के सवालों के जवाब साफ-साफ नहीं मिलने के बाद कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से साफ मना कर दिया, जो पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है।

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चिदंबरम का बेटा भी शामिल
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दलील दी गई थी, कि जिन कंपनियों में पैसे दिये गये, उन सबसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से चिदंबरम के बेटे कार्ति भी शामिल हैं, उनके पास ये मानने की वजह है कि आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी उनके बेटे के दखल की वजह से मिली, 25 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट ने चिदंबरम को दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था, जिसकी अवधि समय-समय पर बढती रही।

मनी लांड्रिंग का क्लासिक उदाहरण
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चिदंबरम से जुड़ा आईएनएक्स मीडिया मामला मनी लांड्रिंग का एक क्लासिक उदाहरण है, कोर्ट केस को लेकर पहली नजर में मानना है कि इस मामले में बेहतर जांच के लिये उन्हें हिरासत में लेने और पूछताछ करने की जरुरत है, साथ ही कोर्ट ने कहा कि तथ्यों के आधार पर पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने ही इस मामले की साजिश की है।