सालों बाद बन रहा है कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ये खास संयोग, जानें कैसे करें नंदलला को प्रसन्‍न

धर्म जानकारों के अनुसार जन्‍माष्‍टमी पर इस बार कई सारे संयोग बन रहे हैं, इस बार ये व्रत बहुत ही लाभदायी है । इस बार कृष्‍ण पूजन से आपकी कई समस्‍याएं दूर हो जाएंगी । ज्‍यादा जानकारी के लिए वीडियो लिंक पर जरूर जाएं ।

New Delhi, Aug 22: संतान प्राप्ति, आयु, समृद्धि, धन आदि किसी भी प्रकार की कोई भी समस्‍या है तो आने वाला श्री कृष्‍ण का जन्‍मोत्‍सव आपके लिए अति लाभकारी है । नंदलला के जन्‍म के इस मौके पर उनका व्रत रखें, पूजन करें और मनचाहे वर की प्राप्ति करें । सबसे पहले आपको ये बता दें कि जन्माष्टमी इस बार 23 अगस्त यानी कि शुक्रवार को मनाई जाएगी । हर वर्ष भादव महीने की अष्टमी को ये त्‍यौहार मनाया जाता है । धर्म के जानकार मानते हैं कि इस दिन वो लोग जिनका चंद्र कमजोर है वो कृष्‍ण की पूजा अवश्‍य करें ।

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जन्‍माष्‍टमी का शुभ मुहूर्त
शास्‍त्र जानकारों के अनुसार इस बार जन्‍माष्‍टमी का विशेष मुहूर्त इस प्रकार होगा ।
अष्टमी तिथि का आरंभ 23 अगस्त 8बजकर 9मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त 24 अगस्त 8 बजकर 32 मिनट
जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त 23 अगस्त निशीथ काल रात 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा । इसी समय रात में भगवान के बाल रूप की पूजा, झूला झुलाना, चंद्रमा को अर्घ्य देना और जागरण करना सब प्रकार से शास्त्र सम्मत है।

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जन्माष्टमी पर पूजन
सुबह-सवेरे सभी देवताओं को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें । व्रत के दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं । इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
संध्‍या काल में काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें । इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें । इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें  ।

नंदलला होंगे प्रसन्‍न
भगवान श्री कृष्‍ण को इस दिन माखन का भोग अवश्‍य लगाएं, घर में जो भी मीठा बन सके वो बनाएं उसमें तुलसी रखें और नंदलला को अर्पित करें । आपकी सभी दुख दूर होंगे । श्री कृष्‍ण आपके धन-वैभव से नहीं आपके मन से प्रसन्‍न होते हैं । सुदामा की भक्ति और मित्रता का प्रसंग तो याद ही होगा, मुठ्अी भर चावलों में ही कृष्‍ण ने उन्‍हें दो लोक दे दिए थे । वहीं आधे चावल में वो अपनी भूख तृप्‍त कर बैठे थें । ऐसे हैं गोकुल के लाला, कृष्‍ण कन्‍हैया । तो राधे-राधे कहिए और जन्‍माष्‍टमी पर प्रभु भक्ति में लीन होकर कृष्‍ण के जन्‍म का उत्‍सव मनाइए ।