वोट बैंक खिसकने के डर से एक हुए ‘कृष्ण-अर्जुन’, संजीवनी की तलाश में लालू के लाल

शाम करीब साढे आठ बजे तेजस्वी यादव अपने लाव लश्कर के साथ धरने पर बैठ गये, मंडली संग धरने पर बैठे तेजस्वी के साथ उनके कार्यकर्ता भजन कीर्तन करते रहे।

New Delhi, Aug 22 : लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद से तेजस्वी यादव मुख्य धारा की राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रहे थे, इस बीत विधानसभा के मॉनसून सत्र और राजद की महत्वपूर्ण बैठकों से भी वो दूर रहे, लेकिन अब लगता है कि तेजस्वी फिर से लौट आये हैं, मंगलवार देर रात पटना लौटे तेजस्वी जमीन की राजनीति की ओर रुख कर रहे हैं, बुधवार देर शाम वो पटना जंक्शन के पास बनी दूध मंडी को तोड़े जाने के खिलाफ वो धरने पर बैठ गये।

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तेज प्रताप ने भी दिया साथ
शाम करीब साढे आठ बजे तेजस्वी यादव अपने लाव लश्कर के साथ धरने पर बैठ गये, मंडली संग धरने पर बैठे तेजस्वी के साथ उनके कार्यकर्ता भजन कीर्तन करते रहे, लंबे अरसे के बाद तेजस्वी सक्रिय दिखे, जिसमें उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी धरना स्थल पर पहुंच गये।

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जमीन पर बैठे लालू के लाल
कहा जा रहा है कि तेजस्वी और तेज प्रताप सड़क पर इसलिये बैठे, क्योंकि उनके सबसे बड़े वोट बैंक (यादव समुदाय) की खास पहचान पर प्रशासन का बुलडोजर चला था, अगर वो यहां चूकते तो इसका सीधा असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में दिखता, ऐसे में लालू की विरासत को बचाने के लिये दोनों भाई तुरंत जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गये और घंटों डटे रहे।

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तेजस्वी का पलटवार
एक निजी न्यूज चैनल ने तेजस्वी से धरने के दौरान ही पूछा, कि बिहार में बाढ की तबाही और चमकी बुखार के कहर के बीच वो गायब थे, लोग उन्हें ढूंढ रहे थे, इस पर तेजस्वी ने कहा कि पीएम कहां थे, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहां थे, सूबे के मुखिया नीतीश जी कहां थे। हमसे जो आप पूछते हैं, जरा उनसे भी तो पूछिये, कि लालू जी ने जिन गरीबों को बसाया, नीतीश जी एक-एक कर उन गरीबों का आशियाना क्यों उजाड़ रहे हैं।

वोट बैंक खोने के डर से एक हुए कृष्ण-अर्जुन
भले ही परिवार में सत्ता संघर्ष चल रहा हो, लेकिन वोट बैंक खिसखने के डर से दोनों भाई एक हो गये हैं, हालांकि घंटों मशक्कत के बाद जिला प्रशासन ने तेज-तेजस्वी को आश्वासन दिया, कि दूध मार्केट उजड़ गया, तो क्या हुआ, हम नया दूसरा मार्केट बसा देंगे, जिसके बाद हरिकीर्तन रोका गया, लालू के दोनों बेटे अपने-अपने घर चले गये। अब सवाल ये है कि इस धरने का दूध कारोबापियों को कितना फायदा मिलेगा, ये तो समय बताएगा, लेकिन दोबारा सक्रिय राजनीति में लौटे तेजस्वी का ये धरना पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और उन्हें एकजुट करने में जरुर मदद करेगा, वैसे भी तेजस्वी संजीवनी की तलाश में हैं।