Opinion – बेचे वाला चाही , इहां सब कुछ बिकाला!

चिदंबरम – महात्मा गांधी की पार्टी का यह ज़ेड प्लस वाला नेता आज कितनी मुश्किल में होगा , समझा जा सकता है। 

New Delhi, Sep 08 : बरेली के बाज़ार में झुमका तो बहुत गिरता रहता है फ़िल्मी गाने में। लेकिन तमाम जुगत और तरकीबों के बावजूद आज नेता गिरा तिहाड़ में, का गाना भी बज गया । गिरते ही बोला , अर्थ व्यवस्था बहुत ख़राब है। पहली बार कोई केंद्रीय गृह मंत्री या वित्त मंत्री रहा व्यक्ति जेल गया है। जेल में मांगी खटिया और कमोड ।

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जेल का अनुभव रखने वाले लोग जानते हैं कि नीचे दरी पर सोना , लाइन में लग कर भोजन , और सुबह लाइन में लग कर इंडियन शीट पर बैठना भी काल ही होता है। कोर्ट ने कह दिया है , आम कैदी की तरह रहिए । यानी पाकेट मारों , हत्यारों आदि के साथ जेल की किसी बैरक में लाइन से दरी पर सोइए। खुले जंगले और जलती लाईट में। एक पावरफुल व्यक्ति की रातें तो छोड़िए , दिन भी काटना कितना कठिन होगा , यह समझना बहुत आसान है। वह व्यक्ति जो इंटरव्यू लेने गई औरतों को बिस्तरबाजी के लिए घसीट लेने का अभ्यस्त रहा हो। ब्लैक मनी में ही सही , जिस के पास अरबो रुपए की जागीर हो। सभी बेईमानों को अब सावधान हो जाना चाहिए।

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महात्मा गांधी की पार्टी का यह ज़ेड प्लस वाला नेता आज कितनी मुश्किल में होगा , समझा जा सकता है। गांधी वैसे ही नहीं कहते थे कि साध्य ही नहीं , साधन भी पवित्र होने चाहिए। और इस पी चिदंबरम नाम के व्यक्ति का तो साध्य और साधन दोनों ही अपवित्र थे। बाकी कानूनी जाल , बट्टा है। देर , सवेर ज़मानत भी मिल जाएगी और चिदंबरम भी एक ख़बर थे , जेल में थे , लोग यह बात भी भूल जाएंगे। फ़िलहाल तो यह जानिए कि देश की अर्थ व्यवस्था बहुत ख़राब है । आर्थिक मंदी बहुत है , जी डी पी गिरी हुई है। लेकिन यह बाहर की बात है। भीतर की बात यह है कि जेल में भी सब जुगाड़ बन जाता है । बात वहां भी आर्थिक ही होती है।

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वह कहते हैं न , पैसा फेंको , तमाशा देखो। चिदंबरम तिहाड़ में थोड़ी देर में गिरेंगे , उन के लिए सुविधाएं बिछ चुकी होंगी। मनी में पावर बहुत है । फिर बात मनी मंत्री रहे व्यक्ति की है । काला धन के पर्वत पर बैठे व्यक्ति की है । एक कविता पंक्ति जेल की दशा जान कर याद आती है , वत्स आ गया दिन ही ऐसा / आंख खोल कलियां भी कहती हैं अब पैसा ! मेरे मित्र बालेश्वर एक गीत गाते थे , बेचे वाला चाही , इहां सब कुछ बिकाला ! जेल मैनुवल के बिकने खरीदने की फेहरिश्त बहुत लंबी है । तो चिदंबरम जनाब कुछ भी बेच और खरीद सकते हैं । इस बात में भी किसी को शक हो तो बताए भला।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)