मनमोहन ने पीएम मोदी को बताया कैसे सुधरेगी अर्थव्यवस्था, ऐसे हासिल होगी 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी

मनमोहन सिंह ने 1991 में केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विकरण की नीति को लागू किया था।

New Delhi, Sep 08 : पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये पीएम मोदी को मंत्र दिया है, उन्होने कहा कि एलपीजी यानी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विककरण) की नीतियों पर आधारित ऑर्थिक सुरक्षा जारी रखकर ही रणनीति बनाकर भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सकता है।

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मोदी के नाम के नारे
आपको बता दें कि मनमोहन सिंह ने 1991 में केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विकरण की नीति को लागू किया था, पूर्व पीएम जयपुर के एक निजी यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में बोल रहे थे, जब मनमोहन सिंह संबोधन के लिये मंच पर आ रहे थे, तो उत्साही छात्रों के एक गुट ने मोदी-मोदी के नारे भी लगाये, मनमोहन ने अपने संबोधन में कहा कि गरीबी, सामाजिक असमानता, सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरवाद तथा भ्रष्टाचार लोकतंत्र के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियां है।

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रणनीति की जरुरत
मनमोहन सिंह ने कहा कि इस समय हमारी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ती दिख रही है, जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है, निवेश की दर स्थिर है, किसान संकट में हैं, बैंकिग प्रणाली संकट का सामना कर रही है, बेरोजगारी बढती जा रही है, भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये देश को एक अच्छी तरह से सोची समझी रणनीति की अवश्यकता है, उन्होने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार टैक्स आतंकवाद पर रोक लगाये, भिन्न विचारों की आवाजों का सम्मान करना चाहिये, सरकार के हर स्तर पर संतुलन बनाना चाहिये, उदारीकरण की नीतियों पर खड़े किये गये आर्थिक सुधारों को जारी रखना समय की मांग है।

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देश को सिद्धांतवादी, ज्ञानी और दूरदर्शी नेताओं की जरुरत
पूर्व पीएम ने आगे बोलते हुए कहा कि देश के लोकतंत्र की जड़े मजबूत करने के लिये आने वाले समय में देश को सिद्धांतवादी, ज्ञानी और दूरदर्शी नेताओं की जरुरत है, लोकतंत्र की ताकत संविधान में निहित है, राजनीतिक दलों को संविधान में उल्लेखित मूल्यों की रक्षा के लिये प्रतिबद्धता जतानी होगी, हमारी एकता बनी रहे, इसके लिये जरुरी है, कि सरकार न्याय, स्वतंत्रता और समानता के साथ-साथ ऐसा वातावरण दे, जो भिन्न विचारों का सम्मान करता हो।