विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बदले शिवसेना के सुर, नेहरु और कांग्रेस की शान में पढे कसीदे

शिवसेना नेता ने कहा कि वो नेहरु ही थे, जिन्होने देश में विपक्षी दल के महत्व को पहचाना, जब शुरु में विपक्षी दल कमजोर था।

New Delhi, Sep 16 : महाराष्ट्र में अगले कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, शिवसेना और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा अभी नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले शिवसेना ने दबाव बनाने की राजनीति शुरु कर दी है, शिवसेना वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता संजय राउत ने संसदीय लोकतंत्र का सम्मान करने के लिये देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरु और कांग्रेस की सराहना की है, इसके साथ ही मौजूदा परिदृश्य में विपक्षी पार्टी के अस्तित्व को लेकर भी सवाल खड़े किये गये हैं, उन्होने कहा कि विपक्ष की अनुपस्थिति किसी देश की राजनीति को मनमाना और एकतरफा बना देती है।

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कांग्रेस और नेहरु की तारीफ
संजय राउत ने कहा कि जवाहर लाल नेहरु और कांग्रेस के बारे में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्होने संसदीय लोकतंत्र में शिष्टाचार को बनाये रखा है, वो कांग्रेस ही थी, जो आजादी के बाद संसद में शिष्टाचार और परंपराओं से संबंधित कुछ नियम लेकर आई, शिवसेना प्रवक्ता ने कार्य मंत्रणा समिति के गठन के लिये कांग्रेस को श्रेय भी दिया।

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वाजपेयी भी नेहरु के नक्शेकदम पर चले
शिवसेना नेता ने कहा कि वो नेहरु ही थे, जिन्होने देश में विपक्षी दल के महत्व को पहचाना, जब शुरु में विपक्षी दल कमजोर था, तो वो कहते थे कि उन्हें प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने के साथ-साथ विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभानी होगी, राउत ने कहा कि यहां तक कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी नेहरु के नक्शेकदम पर चलते थे, उन्होने कहा यदि कोई विपक्षी दल नहीं है, तो देश का लोकतंत्र कमजोर हो जाता है, और राजनीति मनमानी और एकतरफा हो जाती है।

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अवसरवादियों पर भी साधा निशाना
शिवसेना मुखपत्र सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम में उन्होने अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारुढ बीजेपी और शिवसेना में शामिल होने के लिये कतार में खड़े अवसरवादियों पर भी कटाक्ष किया, उन्होने मौजूदा परिदृश्य में विपक्षी पार्टी के अस्तित्व को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े किये, उन्होने कहा कि मराठवाड़ा में पानी की कमी अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के समान ही महत्वपूर्ण है, लेकिन कोई भी इस विशेष मुद्दे का हवाला देते हुए पार्टी नहीं छोड़ रहा है।