नाकाम रहा NASA,नहीं ले पाया ‘घायल’ विक्रम की तस्वीरें, ISRO को बताई ये वजहें

भारत का मिशन चंद्रयान 2 अब अपने खात्‍मे की ओर है । विक्रम लैंडर की तस्‍वीरों की आखिरी उम्‍मीद भी खत्‍म हो गई है । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने भारत की उम्‍मीदों को तोड़ दिया ।

New Delhi, Sep 19: भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर हार्ड लैंडिंग की थी, जिसके चलते इसका एक थ्रस्टर काम नहीं कर रहा है और ये ग्राउंड स्टेशन से भी डिस्कनेक्ट हो चुका है । इसरो ने पिछले कुछ दिनों में इससे संपर्क साधने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । संपर्क के लिए NASA से भी मदद ली गई. लेकिन नासा का ऑर्बिटर भी लैंडर विक्रम की तस्वीरें नहीं खींच पाया । नासा की ओर से इसरो को कहा गया है कि वो विक्रम की तस्‍वीरें लाने में असक्षम है ।

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6 सितंबर को हुई थी हार्ड लैंडिंग
आपको बता दें इसी महीने 6 सितंबर को चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर हार्ड लैंडहुआ था । लैंडर के 4 में से एक थ्रस्टर तिरछा हो गया, और जमीन से इसका संपर्क भी टूट गया । चांद पर लूनर डे खत्म होने के बाद अंअब वहां धेरा हो गया है । लिहाजा अब ‘घायल’ विक्रम की तस्वीरें भी नहीं मिल पा रही हैं । दो दिन पहले ही  खबर आई थी कि नासा का सेटेलाइट LRO इन दिनों चांद का चक्कर काट रहा है, बहुत उम्‍मीद थी कि वो बुधवार की रात चांद के उस इलाके के पास पहुंचता जहां लैंडर विक्रम के होने की जानकारी थी ।

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नासा ने खड़े किए हाथ, बताई ये वजह  
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का अब कहना है कि वो उसके ऑर्बिटर में लगे कैमरे की पहुंच से बाहर है । एक वेबसाइट एविएशन वीक के मुताबिक  चांद के दक्षिणी ध्रुव में जहां लैंडर विक्रम संपर्क से बाहर हुआ था वहां लंबी छाया पड़ने के चलते कैमरा ठीक से तस्वीरें नहीं ले सका । चांद में अब रात होने वाली हैं, ऐसे में इस बदलाव के दौर में वहां के ज्यादातर इलाकों को छांव ने घेर रखा है । ऐसे में ‘लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर कैमरे’ (LROC) वहां की तस्वीरें नहीं ले सका ।

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इसरो ने कहा, शुक्रिया
वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान 2 के साथ आखिरी समय में हुई गड़बड़ी के बावजूद देश और दुनिया से मिले समर्थन का शुक्रिया अदा किया है । इसरो के वैज्ञानिक ने जानकारी देते हुए कहा कि मिशन का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा ही प्रभावित हुआ है । 95 फीसदी हिस्सा काम करता रहेगा । 5 फीसदी हिस्से में सिर्फ लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क टूटा है । जिसके चलते चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी तो नहीं मिल पाएगी । लेकिन मिशन के बाकी 95 फीसदी एक्टिव हिस्से से दूसरी तरह की जानकारी मिलती रहेगी ।