कंजक पूजा के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, 5 सावधानी जरूर रखें

कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर लें, पूजन के दिन कन्‍याओं को इधर-उधर से बुलाना ठीक नहीं रहता । कन्याएं जब घर आएं तो उन पर पुष्‍प वर्षा करें और मां दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं ।

New Delhi, Oct 01: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा की आराधना, व्रत, पूजा आदि करने के बाद व्रत परायण का समय आता है । इस दौरान भक्‍त जन कन्‍या पूजन कर मां का आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं लेकिन कन्‍या पूजन के भी खास नियम होते हैं । कन्‍या पूजन क्‍यों आवश्‍यक है और क्‍यों इसे करना जरूरी बताया गया है, आगे पढ़ें और साथ में दिया वीडियो भी देखें । जानें नवरात्र में कंजक पूजा के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में ।

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कन्‍या पूजन का महत्‍व
चूंकि मां वैष्‍णो ने बालिका रूप में ही अवतार लिया था, इसलिए नवरात्र के दिनों में नौ कन्‍याओं की पूजा का विधान है । कंजक में बुलाई गईं नौ कन्‍याएं, नौ देवियों का प्रतिबिंब मानी जाती हैं । कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं । ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र व्रत के परायण के समय हवन आदि कराने से उतना लाभ नहीं मिलता जितना कन्‍या पूजन से मिलता है ।

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सावधानियां
कन्‍या पूजन से जुड़ी पहली सावधानी ये है कि कंजक के रूप में बुलाई गई कन्‍याओं की उम्र 2 वर्षसे लेकर 11 वर्ष तक की होनी चाहिए । इन कन्‍याओं को विशेष नाम से पुकारा जाता है, जैसे दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी,  छः वर्ष की बालिका,  सात वर्ष की चंडिका,  आठ वर्ष की शाम्भवी,  नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। कन्‍या पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है।

इन बातों का रखें ध्‍यान
कन्‍या पूजन के समय नौ कन्‍याओं के साथ एक लंगूर बालक का होना भी अति आवश्‍यक है । इसके साथ ही ध्‍यान रखें कि कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर लें, पूजन के दिन कन्‍याओं को इधर-उधर से बुलाना ठीक नहीं रहता । कन्याएं जब घर आएं तो उन पर पुष्‍प वर्षा करें और मां दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं । अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह पर बिठाकर सभी के पैरों को धोएं ।माथे पर तिलक लगाए । सामर्थ्‍यानुसार भोजन कराएं, दान दें, उपहार दें और फिर से आशीर्वाद लें ।