हरियाणा विधानसभा चुनाव- केजरीवाल की हार या राजनीतिक दांव, इतने सीटों पर उम्मीदवार तक नहीं उतारे

कुछ साल पहले तक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हरियाणा में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा ठोंक रहे थे।

New Delhi, Oct 06 : राजनीति में एंट्री के साथ ही हरियाणा में वजूद तलाश रही आम आदमी पार्टी के तेवर बदल गये हैं, इस बार आप ने सभी विधानसभा सीटों पर अपनी उम्मीदवार तक नहीं उतारे हैं, केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली से सटे फरीदाबाद के पृथला और तिगांव विधानसभा क्षेत्रों के साथ गुरुग्राम के बादशाहपुर और पटौदी सीट से भी उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, आप की ओर से कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए हरियाणा के बजाय दिल्ली पर पार्टी फोकस कर रही है।

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सरकार बनाने का दावा
कुछ साल पहले तक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हरियाणा में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा ठोंक रहे थे, लेकिन इस बार पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 90 में से सिर्फ 48 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अगर फरीदाबाद की बात करें, तो आप को नामांकन के आखिरी दिन तक दो विधानसभा में प्रत्याशी तक नहीं मिले।

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आप की हार या राजनीतिक दांव
आप के लोकसभा संगठन मंत्री कुलदीप कौशिक के अनुसार उनकी पार्टी ने हरियाणा के लगभग सभी विधानसभा सीटों पर कर्मठ औऱ मेहनती प्रत्याशियों को टिकट दिया है, इन दोनों विधानसभा सीटों के लिये उम्मीदवारों के नाम आये थे, लेकिन उम्मीदवार उनकी नियमों पर खरे नहीं उतरे, इसी वजह से दोनों सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे गये।

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केजरीवाल की रैली
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक केजरीवाल की तीन या चार से ज्यादा सभाएं नहीं होने वाली है, पार्टी की केन्द्रीय ईकाई का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की वजह से पार्टी के बड़े नेता हरियाणा में ज्यादा समय नहीं दे पाएंगे, शुक्रवार को पार्टी ने हरियाणा चुनाव के लिये 20 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, जिसमें केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और गोपाल राय समेत कुछ दूसरे नाम भी शामिल हैं।

उम्मीदवार तक नहीं मिले
हरियाणा की सियासत को समझने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि केजरीवाल की पार्टी को हरियाणा में कुछ भी हासिल नहीं होने वाला, उन्होने राजनीतिक समझ दिखाई है, अगर केजरीवाल अपनी पूरी ताकत भी झोंक दें, तो भी यहां कुछ नहीं मिलता, उल्टे फजीहत होती, जिसका खामियाजा दिल्ली चुनाव में भी देखने को मिलता, इसलिये पार्टी ने अच्छा फैसला लिया है, कि हरियाणा में कम ही सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।