क्रिकेटर बनने यूपी से पहुंचा मुंबई, गोलगप्पे बेचे, टेंट में गुजारी रात, अब अतिशी बल्लेबाजी कर मचाया तूफान

युवा बल्लेबाज के पिता हर महीने कुछ पैसे उन्हें भेजते थे, लेकिन कई बार उनके पास भी पैसे नहीं होते, तो यशस्वी ने आजाद मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचने का काम किया।

New Delhi, Oct 09 : मुंबई के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (113 रन) की पहली शतकीय पारी और आदित्य तारे (86 रन) के साथ पहले विकेट के लिये 152 रनों की साझेदारी के दम पर टीम ने विजय हजारे ट्रॉफी में गोवा को 130 रनों से रौंद्र दिया, मुंबई की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 362 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया, जवाब में गोवा की टीम 46.1 ओवर में 232 रनों पर ढेर हो गई।

Advertisement

मुंबई के बल्लेबाजों का शानदार प्रदर्शन
इस मुकाबले में यशस्वी और आदित्य तारे के अलावा कप्तान श्रेयस अय्यर (29 गेंद 47 रन), सूर्य कुमार यादव (21 गेंद नाबाद 34) और शिवम दूबे (13 गेंद में नाबाद 33) ने भी अंतिम ओवरों में तेज तर्रार पारी खेली, जिसकी वजह से मुंबई की टीम 362 के स्कोर तक पहुंच सकी, हालांकि इसमें सबसे ज्यादा चर्चा युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल की हो रही है, क्योंकि ये उनका दूसरा लिस्ट ए मुकाबला है, और उन्होने शतकीय पारी खेली।

Advertisement

यूपी छोड़ मुंबई पहुंचे
मुंबई को शानदार जीत दिलाने वाली यशस्वी के संघर्ष की कहानी काफी दिलचस्प है, दरअसल यशस्वी मूल रुप से यूपी के भदोही जिले के रहने वाले हैं, उन्होने मुंबई में खुद को जिंदा रहने के लिये गोलगप्पे बेचने से लेकर, डेरी में नौकरी तक किया है। जिसके बाद आज वो सफलता की सीढियां चढ रहे हैं।

Advertisement

टेंट में गुजारी रातें
यशस्वी अभी 17 साल के हैं, वो कम उम्र में ही क्रिकेटर बनने का सपना लिये यूपी से मुंबई पहुंचे, उनके पिता के लिये परिवार का खर्च चलाना आसान नहीं था, इसलिये उन्होने भी बेटे के अकेले मुंबई जाने में ऐतराज नहीं किया, मुंबई में यशस्वी के चाचा रहते हैं, लेकिन उन्होने अपने घर में उन्हें रहने के लिये जगह नहीं दी, जिसके बाद वो मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से जुड़ गये, इसी क्लब के एक टेंट में उन्होने तीन साल गुजारे।

गोलगप्पे बेचे, भूखे सोये
युवा बल्लेबाज के पिता हर महीने कुछ पैसे उन्हें भेजते थे, लेकिन कई बार उनके पास भी पैसे नहीं होते, तो यशस्वी ने आजाद मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचने का काम किया, एक डेरी में नौकरी भी की, इसी दौरान उनकी मुलाकात एक स्थानीय क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह से हुई, जिसके बाद उनकी किस्मत ही बदल गई, उन्होने ही क्रिकेट का सामान उपलब्ध कराकर उन्हें ट्रेनिंग देनी शुरु की, जिसके बाद वो कामयाबी की सीढियां चढने लगे, वो टीम इंडिया अंडर-19 टीम में भी हैं, और मुंबई से भी खेलते हैं।