विजय हजारे ट्रॉफी के लिये यशस्वी ने छोड़ी 10वीं की परीक्षा, दोहरा शतक लगाने के बाद इस बात का है मलाल

यशस्वी जायसवाल ने 14 तारीख को बेंगलुरु में विजय हजारे ट्रॉफी में केरल के खिलाफ खेल रहे थे, जिसमें उन्होने 122 रनों की पारी खेली।

New Delhi, Oct 17 : क्रिकेट में रोजाना नई कामयाबियां हासिल कर रहे युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल के लिये पढाई भी उतनी ही अहमियत रखती है, जितना क्रिकेट प्रैक्टिस करना, 17 वर्षीय बल्लेबाज ने दसवीं की परीक्षा पास करने की ठानी, पढाई भी की, लेकिन संयोग से विजय हजारे ट्रॉफी के लिये उनका मुंबई टीम में चयन हो गया और 10वीं परीक्षा की तारीखों का मैच से टकराव हो गया, यशस्वी को स्कूल से 10वीं की परीक्षा देनी थी, जो 14 और 15 अक्टूबर को होने थे।

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परीक्षा पास ना करने का मलाल
यशस्वी जायसवाल ने 14 तारीख को बेंगलुरु में विजय हजारे ट्रॉफी में केरल के खिलाफ खेल रहे थे, जिसमें उन्होने 122 रनों की पारी खेली, बुधवार को झारखंड के खिलाफ उन्होने 203 रनों की पारी खेली, वो दोहरा शतक बना बेहद खुश हैं, लेकिन 10वीं परीक्षा पास ना हो पाने का मलाल भी है।

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बाउंड्री से पूरी करना चाहते थे दोहरा शतक
युवा बल्लेबाज ने बताया कि पिच शुरु में बल्लेबाजी के लिये आसान नहीं थी, मैं 12 गेंद में खाता भी नहीं खोल पाया था, लेकिन मैंने धैर्य के साथ बल्लेबाजी की, बाद में पिच पर बल्लेबाजी करना आसान हो गया, जब दोहरे शतक के करीब था, तो सोचा कि ढीली गेंद पर चौका या छक्का लगाकर 200 रन पूरे करुंगा, हालांकि गेंदबाज ने यॉर्कर फेंक दिया, जिस पर मैंने 1 रन लेकर दोहरा शतक पूरा किया।

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विजय हजारे ट्रॉफी में प्रदर्शन
छत्तीसगढ के खिलाफ – 44 रन
गोवा के खिलाफ- 113 रन
कर्नाटक के खिलाफ- 22 रन
केरल के खिलाफ- 122 रन
झारखंड के खिलाफ- 203 रन

संघर्ष में बीता बचपन
आपको बता दें कि यशस्वी मूल रुप से यूपी के भदोही के रहने वाले हैं, उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, वो यूपी से मुंबई क्रिकेटर बनने आये थे, लेकिन उनके चाचा ने उन्हें अपनी घर में जगह नहीं दी, जिसके बाद वो तीन साल टेंट में रहे, इस दौरान आजाद मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचे, डेरी में नौकरी की, इसी दौरान उनकी प्रतिभा को क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह ने पहचाना, जिन्होने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरु किया, यशस्वी टीम इंडिया के अंडर-19 के लिये भी खेल चुके हैं।