हरियाणा में किंगमेकर बनी 319 दिन पुरानी पार्टी, क्या चाचा से हो गई बड़ी गलती?

हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक आये रुझान के अनुसार ताऊ देवीलाल की विरासत और सियासत को आगे बढाने का काम दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ही करेंगे।

New Delhi, Oct 24 : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की है, सत्ताधारी बीजेपी को जबरदस्त टक्कर दी है, लेकिन अभी तक के रुझानों के अनुसार सत्ता की चाबी दुष्यंत चौटाला के पास दिख रही है, वो किंगमेकर की भूमिका में आ गये हैं, सवाल ये है कि सिर्फ 319 दिन पुरानी पार्टी कैसे किंग मेकर की भूमिका में आ गई, वो इनेलो से भी कैसे आगे निकल गई, जेजेपी की घोषणा 9 दिसंबर 2018 के जींद के पांडु पिंडारा में हुई थी, इस पार्टी को दो लड़कों ने शुरु किया, जीत किसी की भी हो, लेकिन इस पार्टी ने इस चुनाव में विश्लेषकों को तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है।

Advertisement

देवीलाल के वारिस
हरियाणा के राजनीतिक एक्सपर्ट बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक आये रुझान के अनुसार ताऊ देवीलाल की विरासत और सियासत को आगे बढाने का काम दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ही करेंगे, जाटलैंड में भतीजों के प्रति जनता के रुझान ने बता दिया, कि चाचा अभय चौटाला ने उन्हें इनेलो से निकालकर बड़ी गलती कर दी।

Advertisement

युवा मतदाताओं पर पकड़
दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला खुद युवा हैं, दोनों की युवा मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है, दुष्यंत समर्थक उन्हें सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं, दुष्यंत 2014 में हिसार से सांसद रह चुके हैं, उन्होने कुलदीप बिश्नोई को हराया था, हालांकि इस बार वो हिसार सीट नहीं बचा पाए, विधान सभा चुनाव में दुष्यंत उचाना कलां से चुनावी मैदान में हैं और आगे चल रहे हैं।

Advertisement

चाचा ने पार्टी से निकाला
दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को नवंबर 2018 में अभय चौटाला के कहने पर ओपी चौटाला ने पार्टी से निकाल दिया, इसके बाद दोनों भाइयों ने हरियाणा की जनता का मूड जाना, उपचुनाव में दिग्विजय को चुनावी मैदान में उतारा, हालांकि दिग्विजय हार गये, लेकिन वो दूसरे नंबर पर रहे, इसके बाद दोनों भाइयों ने घूम-घूम कर नये कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी से जोड़ा, उनकी मेहनत का नतीजा अब मिलता दिख रहा है।

देवी लाल के परपोते
दुष्यंत और दिग्विजय पूर्व डिप्टी पीएम और किसान नेता चौधरी देवीलाल के परपोते हैं, जब दुष्यंत 2014 में पहली बार सांसद बने, तो उनकी उम्र 26 साल से भी कम थी, जेजेपी देवीलाल की विरासत को आगे बढाने की बात कर रही है, दोनों लड़के अपने दादा ओपी चौटाला की जगह देवीलाल की बात करते हैं।