सब्जी के तौल से एयरलाइंस तक, ऐसा है गोपाल कांडा का इतिहास, पढिये कैसे मिला ये सरनेम

उनका पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है, 54 वर्षीय कांडा हरियाणा के सिरसा जिले के विलासपुर गांव के मूल निवासी हैं।

New Delhi, Oct 25 : हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बस कुछ विधायक दूर है, ऐसे में हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा फिर से एक बार सुर्खियों में हैं, चुनाव जीत चुके गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन का ऐलान किया है, कांडा हरियाणा की राजनीति का एक चर्चित और विवादित शख्सियत रहे हैं, एक छोटे से दुकानदार से एयरलाइंस के मालिक तक का सफर अनूठा रहा है। एक एयरहोस्टेस ने उन पर संगीन आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर लिया था, जिसकी वजह से उन्हें 18 महीने जेल में बिताने पड़े।

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क्यों कहा गया कांडा
उनका पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है, 54 वर्षीय कांडा हरियाणा के सिरसा जिले के विलासपुर गांव के मूल निवासी हैं, उनके पूर्वज सिरसा के एक थोक बाजार में सब्जियों की तौल करते थे, इसी कारोबार की वजह से उनके परिवार को कांडा सरनेम मिला, असल में यहां के व्यापारी स्थानीय भाषा में लोहे के बाट को कांडा कहते हैं, हालांकि गोपाल कांडा के पिता मुरलीधर कांडा सिरसा के सफल वकील और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

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कारोबार के लिये मांगना पड़ा चंदा
एक समय गोपाल कांडा की हालत इतनी खराब हो गई थी, कि उन्हें चंदा मांगने तक को मजबूर होना पड़ा था, इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होने जूता बनाने का कारोबार शुरु किया, लेकिन ये बुरी तरह विफल हो गया, जिसकी वजह से उन पर कर्ज हो गया, इसके बाद उन्होने म्यूजिक शॉप भी खोला, जो नहीं चल पाया, इसके बाद कांडा ने एक जूते का शोरुम खोला, लेकिन उनके पास पैसे की इतनी तंगी थी, कि उन्होने लोगों से 100-100 रुपये तक का चंदा मांगा।

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रियल इस्टेट के बड़े खिलाड़ी
कांडा का जूता शोरुम चल पड़ा, जिससे वो आगे बढ गये, 1998 में उन्होने गुड़गांव में प्रॉपर्टी के बिजनेस में कदम रखा, तब वो इलाका तेजी से उभर रहा था, उन्होने छोटे-छोटे प्लॉट की खरीद-बिक्री शुरु की, धीरे-धीरे वो हरियाणा के रियल इस्टेट के बड़े खिलाड़ी बन गये। जब उनका साम्राज्य बढने लगा, तो उन्होने कुछ प्रमुख राजनीतिज्ञों से भी संपर्क बन गये, उन पर गैंगस्टर से भी संपर्क होने का आरोप लगा, 2007 में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार से गोपाल कांडा की गतिविधियों की जांच करने को कहा।

एयरलाइंस कारोबार में उतरे
इसके बाद गोपाल कांडा की संपदा लगातार बढती गई, उनका रियल एस्टेट का कारोबार हिसार, गुड़गांव से लेकर पूरे उत्तर भारत के कई शहरों में फैल गई। 2008 में उनके कई ठिकानों पर आयकर विभाग ने टैक्स चोरी के आरोप में छापेमारी की, फिर उन्होने एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की, जिसमें गीतिका शर्मा एयर होस्टेस थी, इसका नाम कांडा ने अपने पिता के नाम मुरलीधर लेखा राम (एमडीएलआर) के नाम पर रखा था, हालांकि उनके विवादों में फंसने के बाद एयरलाइंस का काम बंद हो गया।

कांग्रेस ने बनाया मंत्री
कांडा के राजनीतिक करियर की शुरुआत 2009 में हुई, सफल कारोबारी बनने के बाद उनके कई दलों में संबंध बन गये, 2009 में जब इनेलो ने टिकट नहीं दिया, तो वो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे और जीत भी गये, उनकी किस्मत तब बदली, जबकि राज्य में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत ना मिलने से कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उन्हें अपने पाले में लिया, उन्हें गृह राज्यमंत्री बनाया, बाद में शहरी निकाय, वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री भी रहे। लेकिन 2012 में गीतिका शर्मा सुसाइड केस में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा, गीतिका ने अपने सुसाइड नोट में कांडा पर प्रताड़ना तथा शोषण का आरोप लगाया था, इस मामले में कांडा गिरफ्तार हुए, 2014 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होने हरियाणा लोकहित पार्टी की स्थापना की, 2014 में भी चुनाव लड़े, लेकिन हार गये।

अस्पताल से लेकर महल तक
गोपाल कांडा ने सिरसा में बाबा ताराजी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की, जिसके पास आंखों का अस्पताल है, 13 एकड़ में फैला इसका परिसर है, इसी अस्पताल में 108 फुट का भगवान शिव की मूर्ति है, 2.5 एकड़ में फैला स्कूल और उनका महल है, इस ट्रस्ट के सलाना कार्यक्रम में गोपाल कांड हर साल बॉलीवुड के बड़े-बड़े गायकों और फिल्म सितारों को बुलाते हैं।