बस 72 घंटे और, क्‍या भागवत कराएंगे सुलह ? उधर राउत की बीजेपी को दो टूक, ये फॉर्मूला मानो नहीं तो

महाराष्‍ट्र में अगले 72 घंटे सरकार बनाने के लिए बेहद अहम हैं । उधर बीजेपी अब बात बनती ना देख आरएसएस की शरण में हैं, जबकि संजय राउत अपने सुर बदलने को तैयार ही नहीं ।

New Delhi, Nov 06: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी खींचतान खत्‍म होने का नाम ही नहीं ले रही । उस पर पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बरसते बोल आग में घी का काम कर रहे हैं । शिवसेना नेता संजय राउत ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि मुख्यमंत्री पद पर जो सहमति बनी थी, हमने उसी पर चुनाव लड़ा था, उसी पर गठबंधन भी हुआ था । अब हमारी ओर से कोई प्रस्ताव ना आएगा, ना जाएगा । जो तय हुआ था वहीं हो ।

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किसी प्रस्‍ताव पर कोई चर्चा नहीं होगी : राउत
संजय राउत ने बीजेपी को दो टूक सुनाते हुए कहा है कि अब किसी नए प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होगी  । शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर जो सहमति बनी थी, उसी पर हमने चुनाव लड़ा था, उसी पर गठबंधन हुआ था । कोई प्रस्ताव ना आएगा, ना जाएगा, जो प्रस्ताव तय हुआ था सिर्फ उस पर बात होनी चाहिए । आपको बता दें बुधवार सुबह – सुबह ही राउत शरद पवार से मुलाकात करने भी पहुंचे हैं ।

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राष्‍ट्रपति शासन लगता है तो हम जिम्‍मेदार नहीं : राउत
संजय राउत ने ये भी कहा कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूर पड़ती है तो ये जनता के साथ अन्याय होगा । महाराष्ट्र अगर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है । आपको बता दें महाराष्‍ट्र में चुनाव परिणाम आए 13 दिन बीत चुके हैं, इसके बावजूद शिवसेना और बीजेपी दोनों ही अड़े हुए हैं । यहां विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर तक ही है । ऐसे में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है। अगले 72 घंटे राज्य की सियासत के साथ ही देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के लिए अहम हैं।

आरएसएस की शरण में बीजेपी
उधर सरकार बनाने की खींचतान के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चीफ मोहन भागवत से मुलाकात की थी । मुलाकात में सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई थी । हालांकि इस मुलाकात के बाद क्‍या फल निकला, कुछ कहा नहीं जा सकता । दोनों दलों ने चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन सरकार गठन पर अब दोनों पार्टियों की राहें अलग-अलग हो गईं । शिवसेना अड़ी हुई है कि राज्य में 50-50 फॉर्मूले के तहत ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों का मुख्यमंत्री हो । लेकिन बीजेपी इस बात पर सहमत नहीं, वो मंत्रालय में शिवसेना की हिस्सेदारी पचास फीसदी देने को तैयार है लेकिन पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री और गृहमंत्री बीजेपी का ही बनाना चाहती है ।