NCP को दिये समय से पहले क्यों लगा राष्ट्रपति शासन, गृह मंत्रालय ने दिया जवाब, अब ये है विकल्प

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार राज्यपाल ने तभी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जब उन्होने देखा कि प्रदेश में कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।

New Delhi, Nov 13 : 15 दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी जब महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया, तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की अनुशंसा के बाद मंगलवार को मोदी सरकार ने राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी, होम मिनिस्ट्री ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ये घोषणा संविधान के ऑर्टिकल 356 (1) के तहत की गई है, महाराष्ट्र में अब राष्ट्रपति शासन लागू होगा, ये निर्णय तब लिया गया है जब राज्यपाल ने केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजी, कि कोई भी राजनीतिक पार्टी और गठबंधन राज्य में सरकार गठन करने में सक्षम नहीं है।

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गृह मंत्रालय का जवाब
होम मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने सीएनएन न्यूज-18 से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के सभी प्रयास देखे, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को कामयाबी नहीं मिली, जिसके बाद ये लगा कि प्रदेश में स्थिर सरकार बनाने में कोई कामयाब नहीं होगा, तब राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, दूसरी ओर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल के इस कदम की आलोचना की है। उनके मुताबिक एनसीपी के पास मंगलवार शाम 8.30 बजे तक का समय था, लेकिन उससे पहले ही राज्यपाल ने ये कदम उठा लिया।

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हमें समय चाहिये
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राष्ट्रपति शासन आखिरी विकल्प होता है, इसमें अंतर होता जब एक पार्टी कहती कि हम सरकार नहीं बना सकते, तो दूसरी कहती है कि हम बना सकते हैं, लेकिन हमें समय चाहिये, राज्यपाल के फैसले की आलोचनाओं पर गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा तब की है, जब मंगलवार को एनसीपी नेताओं ने सरकार गठन के लिये 3 दिन का समय और मांगा, राज्यपाल का पत्र मिलने के बाद कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई।

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नंबर लेके आएं, विचार होगा
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार राज्यपाल ने तभी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जब उन्होने देखा कि प्रदेश में कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने में सक्षम नहीं है, राष्ट्रपति शासन हटाने पर उस समय विचार किया जाएगा, जब कोई पार्टी पूरे नंबर लेकर सामने आएगी, हालांकि शिवसेना ने इस पूरे मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।