अजित की बगावत ने चाचा शरद पवार की 41 साल पहले की राजनीति याद दिला दी, तब भाऊ बनें थे किंग

शुक्रवार शाम तक शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस के साधने में लगे हुए थे, लेकिन शनिवार सुबह अचानक अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

New Delhi, Nov 24 : एनसीपी नेता अजित पवार ने रातों-रात बीजेपी से हाथ मिलकर चाचा शरद पवार की 41 साल पहले की कहानी दुहरा दी, तब शरद पवार ने कांग्रेस के दो धड़ों द्वारा बनाई गई सरकार गिराकर राज्य के सबसे युवा सीएम बने थे, पवार ने 1978 में जनता पार्टी और पीजेन्ट्स वर्कर्स पार्टी के गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था, जो 2 साल से भी कम समय तक चली थी, संयोग से इस बार राज्या में कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर वो उसी तरह का गठबंधन तैयार करने की कोशिश कर रहे थे।

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डिप्टी सीएम पद की शपथ
शुक्रवार शाम तक शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस के साधने में लगे हुए थे, लेकिन शनिवार सुबह अचानक अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली, हालांकि शरद पवार ने भतीजे के फैसले का समर्थन नहीं किया और बीजेपी को समर्थन देने का फैसला उनका निजी बताया, वास्तव में 1978 में अपनी पार्टी बनाकर उसे एक दशक तक चलाने के पवार के फैसले को राजनीतिक हलकों में काफी प्रभावशाली नेता के तौर पर स्थापित कर दिया।

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इंदिरा गांधी की पार्टी में नये गये पवार
शरद पवार ने अपनी किताब ऑन माई टर्म्स में लिखा है, कि साल 1997 में इमरजेंसी के बाद चुनावों में राज्य और देश में इंदिरा विरोधी लहर से लोग स्तब्ध थे, पवार के गृह क्षेत्र बारामती से वीएन गाडगिल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गये, इंदिरा गांधी ने जनवरी 1978 में कांग्रेस का विघटन कर दिया, और कांग्रेस (एस- सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली) से अलग होकर कांग्रेस (इंदिरा) का गठन किया, पवार कांग्रेस (एस) के साथ ही बने रहे, उनके राजनीतिक गुरु यशवंतराव चव्हाण भी इसी पार्टी में थे।

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किसी को बहुमत नहीं
एक महीने बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (एस) को 69 सीटें मिली, कांग्रेस (इंदिरा) ने 65 सीटों पर जीत हासिल की, जनता पार्टी 99 सीटें जीतने में सफल रही, इस तरह किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद कांग्रेसे के दोनों धड़ों ने मिलकर कांग्रेस (एस) के वसंतदादा पाटिल की अगुवाई में सरकार का गठन किया, जिसमें इंदिरा की पार्टी के नासिकराव तिरपुदे डिप्टी सीएम बनें।

चंद्रशेखर ने किया था पवार की मदद
सरकार बनने के बाद भी कांग्रेस के दोनों धड़ों के बीच टकराव जारी रहा, जिसकी वजह से सरकार चलाना मुश्किल हो रहा था, शरद पवार ने सरकार छोड़ने का फैसला लिया, जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ उनके संबंधों की वजह से उन्हें काफी मदद मिली, चंद्रशेखर ने पवार से कहा, कि उन्हें बड़ा किरदार निभाना होगा, पवार ने विधायकों का समर्थन जुटाना शुरु किया, फिर सुशील कुमार शिंदे, दत्ता मेघे और सुंदरराव सोलंकी ने सीएम को अपना इस्तीफा भेज दिया।

नई सरकार
सुशील कुमार शिंदे आगे चल सीएम और केन्द्रीय गृह मंत्री बनें, शरद पवार ने कांग्रेस के 38 विधायकों को तोड़कर नई सरकार बना ली, तक शरद पवार 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के सबसे युवा सीएम बने थे, एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि नयी सरकार जनता पार्टी, पीजेंट वर्कस पार्टी और अन्य छोटे दलों के गठबंधन से बनी थी, फिर शरद पवार राजीव गांधी के समय कांग्रेस में लौट आये, लेकिन तब तक उनकी छवि एक प्रभावशाली नेता की बन चुकी थी।