चाचा शरद पवार जैसे कारनामा करने के फिराक में थे अजित पवार, लेकिन पासा पड़ गया उल्टा

महाराष्ट्र में हुए सियासी घटनाक्रम में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते नजर आये, हालांकि दोनों की सियासी चाल में बड़ा फर्क था।

New Delhi, Nov 27 : महाराष्ट्र में बार-बार करवट लेने के बाद अब सियासी ऊंट बैठता दिख रहा है, उम्मीद की जा रही है कि आज बुधवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस की मदद से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले पहले ठाकरे बन जाएंगे, पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की सियासत में कई बड़े उलटफेर देखने को मिले।

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हो गया था उलटफेर
पहले तो कांग्रेस ने विचारधारा के स्तर पर धुर विरोधी शिवसेना को समर्थन देने पर सहमति जताई, फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार रात उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाये जाने की घोषणा की, लेकिन शनिवार सुबह सबकुछ बदल गया, क्योंकि बीजेपी ने अजित पवार के समर्थन से सरकार बना लिया, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेन्द्र फडण्वीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिला दी।

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चाचा-भतीजे की सियासी चाल एक जैसी, नतीजे उलट
महाराष्ट्र में हुए सियासी घटनाक्रम में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते नजर आये, हालांकि दोनों की सियासी चाल में बड़ा फर्क ये था कि शरद पवार 1978 में बसंत दादा पाटिल की सरकार गिराकर खुद सीएम बनने में सफल रहे थे, वहीं अजित पवार को 4 दिन बाद ही डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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फडण्वीस ने डाल दिये हथियार
हालात ऐसे बन गये कि सीएम देवेन्द्र फडण्वीस ने बहुमत परीक्षण से पहले ही हथियार डाल दिये, और अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया, आपको बता दें कि इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के खिलाफ गुस्सा था, तब जनता पार्टी की सरकार बनी थी, उस दौर में महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, प्रदेश के तत्कालीन सीएम शंकर राव चव्हाण ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद वसंत दादा पाटिल को सीएम बनाया गया था।

दो धड़ों में बंटी थी कांग्रेस
ये कांग्रेस का बुरा दौर था, कांग्रेस अंदरुनी कलह से टूट गई गई, कांग्रेस (एस) और कांग्रेस (इंदिरा) अस्तित्व में आई, पवार कांग्रेस (एस) में शामिल हो गये, 1978 में विधानसभा चुनाव हुए और दोनों कांग्रेस अलग-अलग मैदान में उतरी, चुनाव नतीजों में किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जनता पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 99 सीटों पर जीत हासिल की थी, वसंत दादा पाटिल की कोशिशों के बाद कांग्रेस के दोनों धड़े साथ आये, और सरकार बनाई, तभी शरद पवार ने कांग्रेस के कुछ विधायकों को लेकर जनता पार्टी की मदद से सरकार बना ली, तब पवार सिर्फ 37 साल की उम्र में महाराष्ट्र के सबसे युवा सीएम बने थे।