लालू की पार्टी ने बदल ली रणनीति, विरोध के बावजूद इस वजह से सौंपी जगदानंद सिंह को कमान

पिछले कुछ समय से तेजस्वी यादव लगातार स्वर्ण विरोधी बयानबाजी कर रहे थे, नतीजा ये रहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला।

New Delhi, Nov 29 : इसी साल अक्टूबर में हुए उपचुनाव नतीजों ने साफ कर दिया कि लालू की पार्टी को अपनी राजनीति के तौर-तरीकों में बदलाव लाने की जरुरत है, सिमरी बख्तियारपुर और बेलहर में राजपूत मतदाताओं ने जिस तरह से खुलकर सीएम नीतीश कुमार का विरोध किया, और राजद के सिर जीत का सेहरा बांधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तब से ही तेजस्वी के दिमाग में अगड़ी जातियों को रिझाने का ख्याल आना शुरु हो गया।

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अगड़ी जाति को भी साधने की कोशिश
दरअसल खुद लालू यादव 90 के दशक की राजनीति में लौटने के पक्षधर थे, वो चाह रहे थे कि राजपूत, मुसलमान और यादव को एकजुट किया जाए, ताकि राजद की मजबूत जमीन तैयार हो, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार लालू ने तेजस्वी समेत अपने नजदीकी सिपहसलारों से कहा है कि राजनीति दिल से नहीं बल्कि दिमाग से की जानी चाहिये, अपने खास लोगों को समझाते हुए उन्होने कहा कि बीजेपी और संघ से लड़ने के लिये सभी जातियों को साधना होगा।

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यादव भी बीजेपी से नफरत नहीं करते
पूर्व सीएम लालू यादव ने अपने लोगों से कहा कि जिस तरह बीजेपी मुस्लिमों को दरकिनार कर जीत का परचम लहरा रही है, उसी तरह राजद को भी समझना होगा, कि वो किस तरह के गठजोड़ के सहारे अपनी खोयी हुई राजनीतिक जमीन वापस पा सकती है, लालू अपने सिपहसलारों को संदेश देना चाह रहे थे कि बीजेपी मुसलमानों को छोड़ बाकी वोटरों को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़तकी है, वो किसी भी समाज को अछूत नहीं मानती है, इसलिये यादव वोटर भी बीजेपी से नफरत नहीं करते।

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स्वर्ण विरोधी पार्टी नहीं
पिछले कुछ समय से तेजस्वी यादव लगातार स्वर्ण विरोधी बयानबाजी कर रहे थे, नतीजा ये रहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला, जिसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आर्थिक आरक्षण का विरोध करना भारी पड़ गया, जिसके बाद अब पार्टी ने रणनीति बदलते हुए इस पर बयानबाजी करने से परहेज कर लिया है। वो ऐसा संकेत दे रहे हैं कि राजद स्वर्ण विरोधी पार्टी नहीं है।

विधानसभा चुनाव की तैयारी
माना जा रहा है कि अपने भरोसेमंद जगदानंद सिंह को बिहार में पार्टी की कमान सौंपकर लालू ने एक तीर से कई निशाना साध लिये हैं, पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया कि जल्द ही राजद अलग-अलग फोरम से ये ऐलान करने वाली है, कि वो सवर्ण आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तौर-तरीके से आनन-फानन में केन्द्र सरकार ने इसे लागू किया, वो उसके विरोधी हैं।

विरोध के बावजूद जगदानंद सिंह को कुर्सी
सूत्रों का दावा है कि राजद के कद्दावर नेता जयप्रकाश नारायण यादव और शिवानंद तिवारी ने जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने का विरोध किया, लेकिन लालू और तेजस्वी से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद दोनों ने अपने विरोध के स्वर को दबा लिया, पार्टी के एक नेता के अनुसार जय प्रकाश पिछड़ों की राजनीति के पैरोकार रहे हैं, इसलिये वो नहीं चाहते थे कि संगठन के सर्वोच्च पद पर ऊंची जाति का नेता बैठे।