शिल्पा शेट्टी ने पीएम मोदी के नाम लिखा Open Letter, अपना डर बताया, ऐसी–ऐसी बातें लिखीं
देश में बढ़ते दुष्कर्म और महिलाओं के साथ हिंसा के मामलों ने एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी को भी परेशान कर दिया है । शिल्पा ने पीएम के नाम एक खुला खत लिखा है ।
New Delhi, Dec 10: हैदराबाद, उन्नाव, मालदा, कानुपुर, लखनऊ, दिल्ली, इंदौर क्या देश में कोई ऐसा शहर है जहां महिलाओं से हैवानियत ना हुई हो । क्या ऐसा कोई भी कोना है जहां महिलाएं खुद को सुरक्षित समझती हों । परिवार में अपनों का डर, बाहर अजनबियों का डर, दफ्तर में सहकर्मियों का डर, देश में एक के बाद एक हो रही घटनाएं महिलाओं को अंदर तक डरा रही हैं । एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी ने अपना ऐसा ही डर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने रखा है ।
शिल्पा शेट्टी ने लिखा खुला खत
नवंबर के आखिरी हफ्ते में वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और फिर जिंदा जलाने के मामले के बाद भी देश के कई हिस्सों से ऐसी ही खबरें आती रहीं । मासूम बच्चियों तक को नहीं बख्शा जा रहा । हैदराबाद दुष्कर्म के तो चारों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए लेकिन दूसरे दरिंदों का क्या । वो जो लड़कियों को महज भोग की वस्तु समझते हैं । देश भर से आ रहीं इन खबरों से दुखी होकर शिल्पा शेट्टी ने प्रधानमंत्री को खुला खत लिखकर अपराधियों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है ।
सोशल मीडिया शेयर की पोस्ट
शिल्पा शेट्टी ने अपनी पोस्ट में लिखा है – पिछले कुछ समय से देश में महिलाओं की स्थिति और गरिमा बेहद खराब हाल में है। कईयों के लिए हर दिन बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक महिला होने के नाते मैं यह भी नहीं बता सकती कि बलात्कार पीड़ितों, सर्वाइवर्स और उनके परिवारों के प्रति हो रही उदासीनता को देखना कितना घृणित है। यह बेहद निराशाजनक है कि लगातार खबरें मिल रही हैं कि एक अपराधी को या तो जमानत दे दी गई या फिर वह खुलेआम घूम रहा है…
शिल्पा ने पूछे सवाल
शिल्पा शेट्टी ने पोस्ट में आगे लिखा – आखिर किस लिए? क्या उन्हें और ज्यादा जघन्य अपराध करने के लिए एक और मौका दिया जा रहा है? हर उम्र की लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार और प्रत्येक मामले में शामिल बर्बरता के बारे में पढ़कर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं एक बेटे की मां हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं खुद को उस डर की कल्पना के भी करीब ला सकती हूं जो बेटियों की मां हर दिन महसूस करती हैं। बेटी बचाओ केवल एक अभियान में नहीं बदलना चाहिए। सिर्फ कहना ही पर्याप्त नहीं है अगर इस पर कोई एक्शन नहीं हो सकता है। मैं अपने अधिकारियों से सख्त कानूनों को लागू करने का आग्रह करती हूं, जो न केवल भविष्य में अपराधियों को रोकेंगे, बल्कि अपराधियों को भी कड़ी सजा देंगे। साथ ही, इन मामलों में कार्यवाही को तेज करना भी समय की मांग है। न्याय में देरी होना यानी न्याय से वंचित होना है। जय हिन्द!