महाराष्ट्र में फिर से बीजेपी सरकार!, शिवसेना के लिये सुब्रमण्यम स्वामी ने सुझाया नया फॉर्मूला

बुधवार देर रात राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया, बिल के पास होते ही पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने इसे ऐतिहासिक पल करार दिया।

New Delhi, Dec 12 : महाराष्ट्र में इस समय शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है, भारी राजनीतिक उठापटक के बीच शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को सीएम पद की शपथ ली थी, यहां सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी विपक्ष में बैठी हुई है, देवेन्द्र फडण्वीस को शपथ लेने के तीन दिनों के भीतर ही सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन अब बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बीजेपी को सरकार बनाने का नया फॉर्मूला दिया है।

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क्या है ये फॉर्मूला ?
बुधवार देर रात राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया, बिल के पास होते ही पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने इसे ऐतिहासिक पल करार दिया, इसी कड़ी में बीजेपी राज्यसभा सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा, ये अच्छी बात है कि शिवसेना ने अपने हिंदुत्व विचारधारा को पीछे नहीं छोड़ा है, नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ शिवसेना ने वोट नहीं किया, ये समय है कि बीजेपी-शिवसेना फिर से बातचीत शुरु करे, वो चाहे तो सीएम का पोस्ट ढाई साल तक के लिये रख सकते हैं।

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शिवसेना की हां- ना
आपको बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में वोट किया था, लेकिन राज्यसभा में वोटिंग से पहले नई शर्त रख दी थी, हालांकि बुधवार को राज्यसभा में शिवसेना ने वोटिंग का वहिष्कार कर दिया, जिससे बीजेपी का काम आसान हो गया, इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में शिवसेना पर हमला बोलते हुए कहा था कि सत्ता के लिये लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं।

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क्यों बदल गया स्टैंड
राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा था कि मान्यवर लोकसभा में शिवसेना ने इस बिल का समर्थन किया था, मैं सिर्फ इतना ही जानना चाहता हूं, महाराष्ट्र की जनता भी जानना चाहती है कि एक रात में ऐसा क्या हुआ कि आज शिवसेना ने अपना स्टैंड बदल लिया।

शिवसेना पर दवाब
कहा जा रहा है कि शिवसेना ने कांग्रेस के दवाब में आकर अपना फैसला बदला, हालांकि अपने हिंदुत्व के एजेंडे को देखते हुए शिवसेना ने वोटिंग में भाग नहीं लिया, उनका ये फैसला दिखाता है कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर वो काफी कंफ्यूज है, ना तो उसने बिल का समर्थन किया और ना ही विरोध।