आर-पार के मूड में प्रशांत किशोर, इस बार बयान से तिलमिला जाएंगे सुशासन बाबू

प्रशांत किशोर के करीबियों ने ये भी कहा कि पार्टी के प्लेटफॉर्म पर सीएबी को लेकर पार्टी के नेताओं से राय नहीं ली गई, संसद में सीधे बिल का समर्थन करने का फैसला लिया गया।

New Delhi, Dec 14 : नागरिकता संशोधन बिल पर जदयू के रुख से नाराज पार्टी उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नया ट्वीट किया है, पीके ने इसमें कहा है कि भारत की आत्मा को बचाने का काम अब 16 गैर बीजेपी शासित राज्यों पर है, क्योंकि लागू कानून को अमल में राज्यों को लाना  है, पीके ने लिखा है, पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल नागरिकता संशोधन बिल को ना कहा है, अब बाकी राज्यों को अपना रुख स्पष्ट करना है।

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बीजेपी की पिछलग्गू बन गई जदयू
सवाल ये उठ रहा है कि आखिर प्रशांत किशोर कानून संशोधन बिल पर अपनी पार्टी से क्या चाहते हैं, एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए पीके के करीबी लोगों ने बताया कि प्रशांत किशोर जानना चाहते हैं कि क्या नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी की पिछलग्गू बन गई है।

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पार्टी के नेताओं से राय नहीं ली गई
प्रशांत किशोर के करीबियों ने ये भी कहा कि पार्टी के प्लेटफॉर्म पर सीएबी को लेकर पार्टी के नेताओं से राय नहीं ली गई, संसद में सीधे बिल का समर्थन करने का फैसला लिया गया, पीके का ये भी मानना है कि जदयू ने लगातार बिल का विरोध किया था, लेकिन संसद के दोनों सदनों में बिल का समर्थन कर दिया।

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कब-कब किया जदयू ने बिल का विरोध
सबसे पहले बिल का विरोध जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश की ओर से किया गया था, इसके बाद जदयू कार्यकारिणी में खुद नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया, पार्टी नेताओं को समझाया कि कैसे बिल असंवैधानिक है, इसके बाद जदयू के पदादिकारियों की बैठक में भी सुशासन बाबू ने नागरिकता बिल का जमकर विरोध किया, साथ ही पार्टी नेताओं को इसके खतरनाक पक्ष के बारे में बताया, जनवरी 2019 में संसद में नागरिकता बिल लाया गया, तो जदयू ने इसका विरोध किया था।

जदयू करेगी कार्रवाई या पार्टी छोड़ेंगे पीके
पीके के करीबियों का कहना है कि वो पार्टी नहीं छोड़ेंगे, वो चाहते हैं कि नीतीश की पार्टी वो करे जो जदयू के संविधान से जुड़ा हुआ है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार पीके के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, हालांकि फिलहाल इसकी उम्मीद तो नहीं दिख रही, क्योंकि सिर्फ प्रशांत ही नहीं बल्कि पार्टी के कई और बड़े नेता भी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।