NRC तो बहाना है, बीजेपी-जदयू इस ‘बैकअप प्लान’ पर कर रही काम, नीतीश पर भरोसा नहीं

बीजेपी जदयू से तभी अलग होगी, जब उन्हें लगेगा कि हिंदुत्व के नाम पर वो अकेले ही सत्ता में आ सकती है।

New Delhi, Dec 21 : बिहार में एनआरसी का मुद्दा गरमाता जा रहा है, बीजेपी इस मुद्दे को लगातार उठा रही है, इसे प्रदेश में लागू करने की मांग कर रही है, जबकि जदयू ने साफ कह दिया है कि सूबे में एनआरसी की जरुरत नहीं है, जबकि राजद इस मसले को लेकर बीजेपी पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगा रही है, हालांकि सवाल ये है कि जब असम में एनआरसी की फाइनल सूची पर बीजेपी में ही एकमत नहीं है, तो बिहार में इस पर सियासत क्यों शुरु हो गई, सवाल ये भी है कि बिहार में एनआरसी का मुद्दा ही क्यों है।

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विधानसभा चुनाव
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे वजह अगले साल होने वाले विधानसभा है, बीजेपी मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की राजनीति के बहाने अपने लिये एक बड़ा मौका देख रही है, वहीं जदयू भी अपने तरीके से इस मुद्दे पर अपना पक्ष आगे रख रही है, दरअसल दोनों ही पार्टियां इस पर अपना-अपना मौका देख रही है। एक वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार बीजेपी की राजनीति का मुख्य आधार ही सांप्रदायिक विभाजन है, बिहार इसके लिये सॉफ्ट टारगेट हो सकता है, खासतौर से बिहार के चार जिलों कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया में लगातार बढ रही मुस्लिम जनसंख्या बीजेपी की इस राजनीति के लिये बड़ा अवसर है।

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बीजेपी का कोर मुद्दा
ये बीजेपी का कोर मुद्दा पहले से रहा है, 1980 के दशक से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं, हालांकि इस मसले पर जदयू का स्टैंड बीजेपी से अलग हैं, वो एनआरसी समेत कई मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती है और उस पर कायम है। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि भले दोनों पार्टियां अलग राय रखती है, लेकिन दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के साथ सहज भी नहीं है, दोनों अलग भी नहीं होना चाहते, राजनीति का तकाजा यही कहता है कि दोनों उसी सूरत में अलग होंगे, जब उन्हें लगेगा कि माहौल उनके हित में है।

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राजनीतिक फेरबदल का इंतजार
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बीजेपी जदयू से तभी अलग होगी, जब उन्हें लगेगा कि हिंदुत्व के नाम पर वो अकेले ही सत्ता में आ सकती है, जबकि जदयू तभी अलग होने का सोचेगी जब बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक फेरबदल होगा, जब जदयू को लगेगा कि वो किसी ही सूरत में सत्ता में बरकरार ही रहेगी, तभी बीजेपी से अलग हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बिहार में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा निश्चित रुप से एक बड़ा मसला है, लेकिन एनआरसी के मसले पर बीजेपी असम में बुरी तरह विफल रही है, इसलिये इस मुद्दे में बिहार के संदर्भ में बहुत दम नहीं है, ऐसे भी ये सिर्फ कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया जिले की बात करती है, तो ये एनआरसी का मुद्दा रहा भी नहीं।

नीतीश पर बीजेपी को भरोसा नहीं
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बिहार में बीजेपी अपने कोर मुद्दे को इसलिये भी जिंदा रखना चाहती है, क्योंकि उन्हें नीतीश कुमार पर पूरा भरोसा नहीं है, यही वजह है कि बीजेपी बैकअप प्लान के तहत चल रही है, बीजेपी ये भी नहीं चाहती कि नीतीश से अलग हो लेकिन हर सिचुएशन के लिये खुद को तैयार रखना चाहती है, इसी वजह से बैकअप प्लान के तहत आगे बढा जा रहा है।