Opinion – मुसलमानों को सिर्फ अपने अधिकारों की चिंता है कर्तव्य की नही!

सौ करोड़ के हिंदुओं के देश में हिंदुओ के परम् आराध्य राम का मंदिर बनवाने में इतनी मशक्कत करनी पड़ेगी तो आप हिंदुओ से सदाशय होने की उम्मीद क्यों और कैसे कर सकते हैं ?

New Delhi, Dec 22 : एक महिला मुस्लिम वकील ने बताया कि भारत के 80 फीसदी मुसलमानों का देश , संविधान से कोई लेना देना नही है। उन्हें सिर्फ अपने धर्म , अपने मुल्ला मौलवी , 52 मुस्लिम देश और अपने समाज से ही लेना देना है। वे हिंदुस्तान को महज दुधारू गाय मानते हैं जिसे दुहते जाना है । गाय के लिए खाना खोराकी की व्यवस्था हिन्दू करे और मलाई वे खाएं।

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उन्हें देश से केवल लेना औऱ लेना भर है। महिला वकील ने कहा कि तीन तलाक़ , 370 , राम मंदिर , CAA , NRC के बाद मजा तो तब आएगा जब मोदीजी यूनिफॉर्म सिविल कोड लाएंगे । तब देश सचमुच में सेक्युलर होगा क्योंकि तब धर्म के नाम पर किसी को विशेषाधिकार नही मिलेगा। मुसलमानों में फिलहाल यह बौखलाहट इसलिए है कि नागरिकों में अपर हैंड होने की उनकी मानसिकता पर आघात लगा है। एक तो 25 – 30 करोड़ की आबादी होकर भी ये अल्पसंख्यक होने का फायदा उठा रहे हैं और बहुसंख्यक होकर राज भी कर रहे थे । जब मन करे सरकार बना दे , जब जी उकता गया सरकार गिरा दिया । जिसे मन चाहा चुन लिया जिसे मन चाहा फेंक दिया । वरना इस देश मे शहाबुद्दीन , आजम खान , ओवैसी जैसे समाज तोड़ने वाले और अपराधी लोग सालों साल तक राज नही करते ।

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इस देश के मुसलमानों की पहली प्राथमिकता उन सभी कागजातों का जुगाड़ करना है जिससे उनकी नागरिकता पर सवाल न उठे और उसके बाद उन सभी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का फायदा उठाना है जिसकी उसे जरूरत हो या न हो लेकिन उसपर अपना अधिकार समझते हैं । आज अचानक से मुसलमानों ने गंगा जमुनी तहजीब जैसे मुहावरों का प्रयोग शुरू कर दिया है जिसे कल तक हिन्दू करते थे । यह सिर्फ इसलिए कि इनका वर्चस्व और दादागिरी खतरे में है। धर्म को लेकर वे इतने कट्टर हैं कि इस्लामिक देशों से भारत आया हुआ जासूस , अपराधी और आतंकवादी भी उसे प्यारे लगते हैं जबकि उन्ही मुसलमानों के सताए हुए हिन्दू उन्हें बर्दाश्त नही ।

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मोदी के आने के बाद अचानक से मुस्लिम समाज जालीदार टोपी पहनने लगा है क्योंकि उसे भरोसा है कि उसकी पहचान के बाद ही उसे बचाने उसके लोग आएंगे । इनके लिए बग़दादी , सद्दाम , ओसामा , दाऊद , बदरुद्दीन ओवैसी जैसे लोग आदर्श है।यही वजह है कि किसी अपराधी या आतंकी को बचाने के लिए पूरा मोहल्ला और शहर के मुसलमान खड़े हो जाते हैं । महिला वकील इस बात की तस्दीक करती है कि पढ़े लिखे मुसलमान भी धर्म को लेकर और दकियानूसी इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ नही बोलते हैं क्योंकि उन्हें भी अपनी सलामती केवल अपने धार्मिक समाज मे ही दिखता है। उनकी संख्या काफी कम है इसलिए वे उन्मादी , अपराधी , कट्टरपंथी , मौलवी और मुल्लाओं की भीड़ और मानसिकता से खुद को अलग नही कर पाते ।

अब्दुल हमीद , कलाम , ज़ाकिर हुसैन जैसे लोगो की आड़ में वे अपना समाजद्रोही औऱ राष्ट्र द्रोही मानसिकता को छिपाने की कोशिश करते हैं। इन्हें सिर्फ अपने अधिकारों की चिंता है कर्तव्य की नही। CAA ही नही राम मंदिर के मुद्दे पर इनका कलुषित मानसिकता दिख गया जब सुप्रीम कोर्ट में हारने के बाद भी इन्होंने पुनर्विचार याचिका डाला । सौ करोड़ के हिंदुओं के देश में हिंदुओ के परम् आराध्य राम का मंदिर बनवाने में इतनी मशक्कत करनी पड़ेगी तो आप हिंदुओ से सदाशय होने की उम्मीद क्यों और कैसे कर सकते हैं ? उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि अधिकांश मुसलमानों औऱ मुसलमानी मानसिकता ने देश को खोखला बना दिया था । पहली बार किसी ने इस घाव की सर्जरी करना शुरू किया है तो घाव के कीड़ों में बिलबिलाहट तो होगी ही । अगर कोई कहता है कि यह चुनावी कदम है तो भूल जाइए अभो साढ़े चार साल बचे हैं चुनाब में। मनाइए कि मोदी इस मुद्दे पर पीछे नही हटें वरना भारत को टुकड़े टुकड़े करने में ये उन्मादी सफल हो जाएंगे ।

कुछ हिन्दू बुद्धिजीवी और पत्रकार मोदी के ऐसे कदमो का विरोध कर रहे है , वे नाटक कर रहे हैं या निजी स्वार्थ के लिए देश तक को खतरे में डाल रहे हैं । हिंदुओ के मजबूत होने के बाद वामपंथियों ने मुसलमानों को अपना सहारा बनाया है । दरअसल दोनों अपने वर्चस्व और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं इसलिए दुश्मन का दुश्मन अभी दोस्त बन बैठे हैं । CAA की खिलाफत करने वाले अब इसमें दलित , पिछड़े और आदिवासी फैक्टर का भी खेल खेल रहे हैं । जाहिर है वे गृहयुद्ध की स्थिति बनाना चाहते हैं। हिन्दू तो अभी जगा है , अगर वह तांडव करने लगे तो CAA की खिलाफत करते 156 उन्मादियों पर कार्रवाई के बदले एक लाख 156 के घर की कुर्की होती । अभी भी यह देश बेहद उदारवादी और सॉफ्ट स्टेट है इसका फायदा उठाना अगर बंद नही होगा तो भारत के मुसलमान पूरे विश्व मे कहीं ठौर नही पा सकेंगे । अभी ही वे पाकिस्तान , बांग्लादेश या अफगानिस्तान में बसकर दिखा दें । इन्हें इन देशों में मोहाजिर या घुसपैठिया कहा जाता है ।अरब देशों में तो एशिया उपमहाद्वीप के मुसलमानों को हिकारत से देखा जाता है इसलिए भारत मे वे तांडव न करे वरना वे घर के रहेंगे न घाट के ।
( नोट : महिला मुस्लिम वकील ने अपना नाम छिपाने का आग्रह नही किया था लेकिन मैं चाहता हूँ कि जाहिलो की भीड़ उनके लिए मुसीबत न बने , इसलिए उनका नाम नही डाल रहा हूँ । वैसे समझदार लोग उन्हें जानते होंगे )

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)