CAA- NRC पर मचे बवाल के बीच मोदी सरकार ने दी NPR को हरी झंडी, अच्छे से समझ लीजिए ये क्या है?

एनपीआर और एनआरसी में अंतर है, एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का उद्देश्य है।

New Delhi, Dec 24 :  संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर मचे बवाल के बीच मोदी सरकार अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लाने जा रही है, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को करीब 2 घंटे चली बैठक में एनपीआर को हरी झंडी दे दी, सूत्रों के अनुसार कैबिनेट ने एनपीआर को अपडेट करने के लिये 8500 करोड़ रुपये बजट को भी मंजूरी दे दी है। 1 अप्रैल 2020 से इस पर काम शुरु कर दिया जाएगा।

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एनपीआर में क्या होगा
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार एनपीआर में देश के सामान्य नागरिकों की गणना की जाती है, सामान्य नागरिकों से मतलब उस व्यक्ति से है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले 6 महीने या उससे ज्यादा समय से रह रहा हो, या अगले 6 महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो, हर नागरिक के लिये रजिस्टर में नाम दर्ज करवाना अनिवार्य होगा।

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जनगणना का काम
अधिकारियों ने बताया कि एनपीआर के संबंध में डेटाबेस को अपडेट करने का काम 2015 में घर-घर सर्वे के जरिये हुआ था, अपडेट किये गये डेटाबेस के डिजिटलाइजेशन का काम पूरा हो गया है, अब ये फैसला किया गया है, कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का काम जनगणना 2021 के साथ असम को छोड़कर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा।

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क्या है एनपीआर?
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिये देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है, देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य लक्ष्य है, इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।

एनआरसी से कितना अलग है एनपीआर
एनपीआर और एनआरसी में अंतर है, एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का उद्देश्य है, वहीं 6 महीने ये उससे ज्यादा समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में अनिवार्य रुप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा, कोई विदेश भी अगर देश के किसी हिस्से में 6 महीने से ज्यादा समय से रह रहा है, तो उसे भी अपनी डिटेल दर्ज करानी होगी।