कांग्रेस छोड़ नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं नवजोत सिंह सिद्धू, मिला बड़ा ऑफर

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ टकराव के बाद सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद से वो पूरी तरह खामोश हैं।

New Delhi, Jan 22 : राजनीति में हाशिये पर चल रहे पंजाब के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं, पूर्व क्रिकेटर को लेकर कयासबाजी शुरु हो चुकी है, दरअसल शिरोमणि अकाली दल से टूटे नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल टकसाली का गठन किया है, इस दल ने सिद्धू को ऑफर दिया है, शिअद टकसाली ने बादल के धुर विरोध सिद्धू से अपनी पार्टी का नेतृत्व करने की अपील की है, टकसाली ने कहा कि सिद्धू हमारा नेतृत्व करें, हम उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाएंगे।

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सिद्धू को ऑफर
शिअद टकसाली नेता रणजीत सिंह बह्मपुरा के बाद अब पूर्व मंत्री और पार्टी महासचिव सेवा सिंह सेखवां ने कहा कि सिख संस्थाओं को बादलों से आजाद करवाना हमारा मुख्य मकसद है, ऐसे में सिद्धू जैसे नेता को पार्टी में लाने और उनके नेतृत्व में हमें काम करने में खुशी होगी, वह पंजाब परस्त है, सिद्धू को अपनी पार्टी में लाने और नेतृत्व सौंपने की बात रणजीत सिंह बह्मपुरा ने दो दिन पहले कही थी।

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पूर्व सांसद की लगाई ड्यूटी
खास बात ये है कि एक ओर टकसाली नेता अकाली परंपराओं को पुनर्जीवित करने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी ओर सिद्धू जैसे नेता को अपनी पार्टी में नेतृत्व का न्योता दे रहे हैं, जिनका अकाली परंपराओं से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है, सेवा सिंह सेखवां ने कहा कि सिद्धू को पार्टी में लाने के लिये पूर्व सांसद रतन सिंह अजनाला की ड्यूटी लगाई गई है, अगर वो तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है।

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शिअद ने ली चुटकी
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने टकसाली के इस मांग को हास्यास्पद बताया, उन्होने कहा कि टकसाली नेताओं को अपनी पार्टी का नाम बदलकर ठोको ताली दल कर लेना चाहिये, साथ ही उन्होने कहा कि बह्मपुरा के बयान से साफ है कि वो खुद पार्टी का नेतृत्व करने में अक्षम हैं, उनकी पार्टी में लीडरशिप का संकट है, इसी वजह से कांग्रेस ने जिस नेता को घरप बैठने के लिये मजबूर कर दिया, उससे उम्मीद लगाये बैठे हैं।

घर बैठे हैं सिद्धू
मालूम हो कि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ टकराव के बाद सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद से वो पूरी तरह खामोश हैं, पंजाब की सियासत से लगभग दूर हैं, एक दो मौकों को छोड़कर सिद्धू ज्यादा सार्वजनिक रुप से नजर भी नहीं आते।