Opinion – गोडसे स्वीकार नहीं, पर केवल गांधी पैदा करने की गारंटी देना भी किसी समाज के लिए संभव नहीं!

मैं पॉलिटिकली इनकरेक्ट हो सकता हूँ, लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी यह टिप्पणी सत्य, न्याय, देश और धर्मनिरपेक्षता के पैमाने पर बिल्कुल करेक्ट है।

New Delhi, Feb 01 : जामिया में गोली चलाने वाले लड़के के लिए मैं कड़ी से कड़ी सज़ा मांगता हूं, इसके बावजूद कि वह नाबालिग है और कानूनन हम न उसका नाम ले सकते हैं, न चेहरा दिखा सकते हैं, न कोई भी ऐसा संकेत दे सकते हैं जिससे उसकी पहचान उजागर हो जाए। निर्भया के साथ रेप करके उसकी हत्या करने वाले लड़के को भले 3 साल जुवेनाइल होम में रखकर छोड़ दिया गया, लेकिन इस लड़के को नहीं छोड़ा जाना चाहिए, यह भी कह रहा हूँ।

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अब सवाल यह है कि इस लड़के ने ऐसा क्यों किया? मुझे इसकी दो ही संभावनाएं नज़र आती हैं-
1. इस लड़के ने ऐसा अपनी नफरत के कारण किया होगा, जो अपनी ज़िंदगी या आस-पड़ोस में घटी किसी घटना से या मीडिया के विभिन्न स्वरूपों द्वारा लगातार प्रसारित की जा रही खबरों और अफवाहों से या विभिन्न नेताओं के भाषणों और वक्तव्यों से पैदा हुई होगी।
2. इस लड़के ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा किसी राजनीतिक दल या नेता या दंगाई गिरोह के इशारे पर किया होगा। ये दल, नेता या गिरोह किसी भी तरफ के हो सकते हैं, लेकिन इनके उस तरफ का होने की आशंका मुझे अधिक लगती है, जिस तरफ के लोग इस घटना को प्रचारित करके और इसपर सवाल उठाकर चुनाव में लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस घटना से जिनकी बदनामी होनी है, उनके ऐसा करवाने की आशंका मुझे कम लगती है, फिर भी यह मेरा निष्कर्ष नहीं, केवल राजनीतिक स्थितियों के आकलन के आधार पर एक आशंका मात्र है।

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बहरहाल, इस घटना के पीछे दोनों में से चाहे जो भी वजह या गिरोह हो, यह चिंता पैदा करने वाली बात है।
1. अगर इसके पीछे कोई राजनीतिक दल, नेता या गिरोह है, तो उसके लिए और भी बड़ी सज़ा होनी चाहिए, क्योंकि मैं गोली चलाने वाले से बड़ा गुनहगार उसे मानता हूँ, जो गोली चलवाता है।
2. अगर इसके पीछे इस लड़के की अपनी नफ़रत है तो इसके लिए इसकी ज़िम्मेदारी कम है, उन लोगों की ज़िम्मेदारी अधिक है, जो CAA और NRC के मुद्दों पर बेवजह हिंसा, हुड़दंग और देशविरोधी रवैये अपनाने के रास्ते पर चल रहे हैं। पहले इन लोगों ने आगज़नी की, पथराव किया, गोली चलाई, सड़क जाम किया, देश को तोड़ने की बातें की, तरह-तरह से इस्लामिक साम्राज्य बनाने के मंसूबे ज़ाहिर किये, बहुसंख्यकों की आस्था पर चोट पहुंचाने के प्रयास किए और झारखंड के लोहरदगा में CAA-समर्थक रैली पर पथराव करके नीरज राम प्रजापति नाम के एक दलित भाई को मार डाला।

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याद रखिए, कोई भी सभ्य समाज अपने भीतर नाथूराम गोडसे के पैदा होने से कलंकित ही महसूस करेगा, लेकिन साथ ही वह केवल महात्मा गांधी पैदा करने की गारंटी भी नहीं दे सकता, जो धर्म के नाम पर देश का विभाजन और 10 लाख लोगों की हत्या हो जाने के बावजूद लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ जाते हुए सरदार पटेल की बजाय नेहरू को प्रधानमंत्री बनाकर जीवित थे, जबकि इस देश और बहुसंख्य नागरिकों से उन्होंने वादा यह किया था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा, लेकिन ऐतिहासिक तथ्य यह है कि देश का विभाजन उनकी लाश पर नहीं, बल्कि अन्य 10 लाख लोगों की लाशों पर हुआ था। देर-सबेर यह समीक्षा तो सबको करनी ही होगी कि आखिर क्यों गांधी को पैदा करने वाले राज्य ने ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी पैदा किया और गांधी को पूजने वाले देश ने ही 67 साल बाद इन दोनों को सिर-आँखों पर बिठा लिया। साफ है कि अगर महात्मा गांधी की नीतियों का दंश आज देश को 72 साल बाद भी झेलना पड़ रहा है तो यह देश नाथूराम गोडसे पर नियंत्रण रखने की चाह रखते हुए भी अब केवल गांधी-मार्ग पर चलने की गारंटी नहीं दे सकता।

इसलिए जामिया में गोली चलाने वाले और चलवाने वालों, यदि कोई हैं, के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए मैं उन लोगों की भी कठोर भर्त्सना करता हूँ, जिन्होंने पिछले डेढ़ महीने से देश को बंधक बना रखा है, जिनके धर्मान्धता भरे कट्टरतापूर्ण कुकृत्यों की वजह से देश का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटक कर केवल और केवल हिन्दू-मुस्लिम विमर्श पर आ टिका है, जो देश को तोड़ने के मंसूबे ज़ाहिर कर रहे हैं, जो पहले ही कुछ लोगों की हत्या कर चुके हैं या मृत्यु का कारण बन चुके हैं, जो देश से ऊपर धर्म को समझते हैं, जो धर्म के नाम पर देश की सुरक्षा और हितों से खिलवाड़ करते हुए लाखों-करोड़ों घुसपैठियों को अपने संरक्षण में बसाए हुए हैं और आगे भी बसाए रखने के लिए देश से लड़ाई लड़ रहे हैं।
मैं पॉलिटिकली इनकरेक्ट हो सकता हूँ, लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी यह टिप्पणी सत्य, न्याय, देश और धर्मनिरपेक्षता के पैमाने पर बिल्कुल करेक्ट है। अगर मैं जामिया में गोली चलाने वाले के प्रति गरम हूं, तो किसी भी तरीके से यह संदेश नहीं जाने देना चाहता कि CAA और NRC के मुद्दे पर अराजकता फैला रहे चरमपंथियों के प्रति नरम हूँ। शुक्रिया।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)