Opinion – उम्मीद है कि केजरीवाल अब धरती पर टिके रहेंगे और जनता के भरोसे को नहीं तोड़ेंगे

शुरु में केजरीवाल ने काफी गलतियां की, लेकिन समय रहते सम्हल गये। उन्होंने आम आदमी की पीड़ा को समझा।

New Delhi, Feb 12 : दिल्ली के चुनाव परिणाम में कुछ भी नया या हैरान करनेवाला नहीं है। यही होना था। पहले दिन से ही स्पष्ट था कि केजरीवाल फिर से वापस आयेंगे। हां, बीच में अमित शाह के नेतृत्व में आक्रामक प्रचार और जीत के दावों से BJP ने अपनी हवा बनाने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन वोटर उस हवा में बहे नहीं।
इस चुनाव परिणाम से बिहार के नेताओं के मुंह पर दिल्ली वासी बिहारी वोटरों ने एक जोरदार थप्पड़ भी जड़ा है। बिहारी वोटरों को रिझाने के लिए पूरी बिहार सरकार दिल्ली में कैम्प कर रही थी। लेकिन वोटरों ने उनका पानी उतार दिया। यह उचित भी था।

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शुरु में केजरीवाल ने काफी गलतियां की, लेकिन समय रहते सम्हल गये। उन्होंने आम आदमी की पीड़ा को समझा। उसकी जरूरतों, बिजली, पानी, स्कूल, स्वास्थ के लिए अनुकरणीय शुरुआत की। भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए कारगर कदम उठाए।जो काम किये, उसका लाभ जाति, धर्म, अमीर-गरीब का भेद किये बिना सभी वर्ग के वोटरों को मिला। और उन्होंने रिटर्न गिफ्ट के तौर पर ‘आप’ को फिर से सत्ता में बिठा दिया। आम आदमी को इतने लाभ पहुंचानेवाली योजनाओं को चलाने के बाद भी अगर केजरी सत्ता में न आते तो जरूर हैरत अंगेज होता।

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दिल्ली में बिहारी वोटरों के प्रभाववाली कुल 27 सीटें हैं। जिनमे 17 सीटों पर बिहारी वोटर हार-जीत तय करते है। इनमें सिर्फ एक लक्ष्मीनगर की सीट BJP को मिली है। शेष 26 सीटों पर आप उम्मीदवार जीता। बिहारी वोटरों को रिझाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत उनका पूरा मंत्रिमंडल और सभी महत्वपूर्ण नेताओं ने वहां सघन अभियान चलाया था। बिहार सरकार की उपलब्धियां बताकर वोट मांगे गए थे। कहा गया था कि BJP-JDU की सरकार बनी तो दिल्ली भी बिहार की तरह विकास का द्वीप बनेगी। लेकिन वोटरों ने उनकी बातों पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं किया।

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इन नेताओं के सुशासन के वादे ने पूर्वांचल के वोटरों के दर्द को उभार दिया। इन्ही नेताओं की अकर्मण्यता, कुशासन और भ्रष्टाचार के कारण तो उन्हें परदेशी बनना पड़ा है। इसे वे कैसे भूल सकते हैं ? उन्हें लगा कि जो उन्हें घर में रोजी न दे सका, वह भला परदेश में क्या कर पायेगा? पहली बार JDU और LJP दिल्ली में BJP के साथ मिलकर चुनाव में उतरी थी। सभी बिहारी विधायकों और सांसदों की ड्यूटी वहां लगाई गई थी। लेकिन केजरी की जनप्रिय और आमलोगों को लाभ देनेवाली योजनाओं के प्रवाह में वे टिक न सके। दिल्ली के बिहारी वोटरों ने जम कर आप को वोट दिया। उनका यह कदम अपने प्रदेश के नेताओं के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ से कम नहीं। ‘ऊपर से फिटफाट और नीचे से मोकामा घाट’ की बिहारी कार्य संस्कृति को वे भूले नहीं हैं।

कांग्रेस की तो बात करना ही व्यर्थ है। वो तो चुनाव मैदान में कहीं थी ही नहीं। 15 साल तक शासन करनेवाली पार्टी का लगातार दूसरी बार दिल्ली विधानसभा में खाता तक न खुलने का मतलब साफ है। कांग्रेस के 66 में से 63 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। लेकिन उसे इसका दुख नहीं। वह इसी में खुश है कि BJP नहीं आई।
यही हाल RJD का भी है। कांग्रेस ने उसके लिए 4 सीटें छोड़ी थी। RJD के 4 उम्मीदवार थे। वे सभी मिलकर 2000 वोट जुटा सके। सबकी जमानत जब्त हो गई, फिर भी पार्टी के नेता खुश हैं। यह खुशी उन्हें मुबारक।
उम्मीद है कि केजरीवाल अब धरती पर टिके रहेंगे और जनता के भरोसे को नहीं तोड़ेंगे। वैकल्पिक राजनीति का मॉडल पेश करने का उनके लिए यह सुनहरा मौका है।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)